Greater Noida News: नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना सिटी, यूपीएसआईडीए, गाजियाबाद और बुलंदशहर प्राधिकरणों द्वारा अधिग्रहित भूमि के उचित मुआवजे के साथ सुविधाओं की मांग को लेकर किसानों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। दिल्ली की तर्ज पर एकजुट हुए संयुक्त किसान मोर्चा ने पुरानी मांगों को लागू करवाने के लिए बड़े आंदोलन का ऐलान किया है, तो चलिए जानते हैं इससे जुड़ा पूरा मामला।
क्या है किसानों की मांगें?
संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर चिटहैरा, कठेड़ा, पल्ला, पाली, बोड़ाकी, दतावली और रामगढ़ आदि गांवों में जनजागरण के साथ सदस्यता अभियान चलाया गया है। इन अभियानों के जरिए किसानों को 10 फीसदी भूखंड, बढ़ा हुआ मुआवजा, नए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत बाजार दर से चार गुना मुआवजा, 20 फीसदी भूखंड, रोजगार और आबादी निस्तारण जैसी सुविधाओं की मांग को लेकर एकजुट किया जा रहा है।
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समस्या का नहीं हो सका समाधान
किसान नेता सुनील फौजी एडवोकेट ने कहा कि पिछले कई सालों से आंदोलन और विरोध के बावजूद किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया है। पिछले साल सरकार की ओर से एक हाई पावर कमेटी बनाई गई थी। जिससे किसानों को उम्मीद बंधी थी, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा सही रिपोर्ट न भेजे जाने के कारण समस्या का समाधान नहीं हो सका।
मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के सामने भी उठा मुद्दा
नोएडा में उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के सामने भी यह मुद्दा उठाया गया। सुनील फौजी एडवोकेट, डॉ. रूपेश वर्मा और सुखवीर खलीफा समेत कई किसान नेताओं ने मुख्य सचिव के सामने अपनी आपत्ति दर्ज कराई। उन्होंने अधिकारियों द्वारा भेजी गई गलत रिपोर्ट के खिलाफ आवाज उठाई। किसानों ने साफ तौर पर चेतावनी दी है कि अब वे आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार हैं। आंदोलन में सुनील फौजी, जितेंद्र चौधरी, सुखबीर भाटी, राजू नंबरदार, संजय नेताजी, गजेंद्र भाटी, फिरे भाटी, धीरज दतावली, अशोक रामगढ़ और जस्सी भाटी समेत सैकड़ों किसान मौजूद रहे।
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