Hazaribagh News: झारखंड के हजारीबाग जिले के इचाक प्रखंड में स्थित डुमरौन गांव में बुधवार, 26 फरवरी 2025 को दो समुदायों के बीच हुई हिंसक झड़प ने इलाके में तनाव पैदा कर दिया है। यह घटना एक धार्मिक झंडे को लेकर शुरू हुए विवाद से भड़की, जो जल्द ही पथराव और हिंसक टकराव में बदल गई। इस झड़प में कम से कम 20 लोग घायल हो गए, और उपद्रवियों ने तीन मोटरसाइकिलों को आग के हवाले कर दिया। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने त्वरित कार्रवाई की, लेकिन गांव में तनाव अब भी बना हुआ है।
विवाद की जड़
डुमरौन गांव के सरकारी विद्यालय के गेट पर धार्मिक झंडा लगाने को लेकर यह विवाद शुरू हुआ। जानकारी के अनुसार, करीब दो साल पहले एक समुदाय ने विद्यालय परिसर में एक धार्मिक प्रतीक के रूप में मीनारनुमा गेट का निर्माण करवाया था। इस निर्माण को लेकर गांव के दूसरे समुदाय ने शुरू से ही आपत्ति जताई थी। उनका कहना था कि सरकारी जमीन पर किसी भी समुदाय विशेष के धार्मिक प्रतीक का निर्माण नियमों के खिलाफ है। इस मुद्दे को लेकर ग्रामीणों ने हजारीबाग के उपायुक्त (डीसी) और पुलिस अधीक्षक (एसपी) सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों को ज्ञापन सौंपे थे और कार्रवाई की मांग की थी। हालांकि, प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, जिससे दोनों पक्षों के बीच तनाव बढ़ता गया।
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बुधवार को महाशिवरात्रि के मौके पर एक समुदाय के कुछ लोग गाना बजाते हुए उस गेट के पास पहुंचे और वहां अपना धार्मिक झंडा लगाने की कोशिश की। इसे लेकर दूसरे समुदाय ने तीखी आपत्ति जताई और दोनों पक्षों के बीच कहासुनी शुरू हो गई। यह तकरार जल्द ही हिंसक रूप ले लिया, जब एक पक्ष ने पथराव शुरू कर दिया। जवाब में दूसरे पक्ष ने भी पथराव किया, जिसके बाद दोनों ओर से जमकर भिड़ंत हुई।
Hazaribagh हिंसा का रूप और नुकसान
Hazaribagh हिंसक झड़प में दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर पत्थरों से हमला किया, जिसके परिणामस्वरूप कम से कम 20 लोग घायल हो गए। घायलों में पुरुषों के साथ-साथ कुछ महिलाएं और बच्चे भी शामिल बताए जा रहे हैं। इसके अलावा, भीड़ ने तीन मोटरसाइकिलों को आग लगा दी, जिससे संपत्ति को भी नुकसान पहुंचा। पथराव के दौरान आसपास के कुछ घरों और वाहनों को भी क्षति पहुंचने की खबर है। स्थिति इतनी बेकाबू हो गई कि स्थानीय लोगों को अपने घरों में छिपना पड़ा।
पुलिस-प्रशासन की कार्रवाई
हिंसा की सूचना मिलते ही इचाक थाना पुलिस, प्रखंड विकास अधिकारी (बीडीओ), और अतिरिक्त सुरक्षा बल मौके पर पहुंचे। पुलिस ने दोनों पक्षों को तितर-बितर करने के लिए हल्का बल प्रयोग किया और स्थिति को नियंत्रण में लाया। इसके बाद गांव में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया ताकि आगे कोई अप्रिय घटना न हो सके। हजारीबाग के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) भी मौके पर पहुंचे और हालात का जायजा लिया। प्रशासन ने दोनों समुदायों के प्रतिनिधियों के साथ शांति वार्ता शुरू की है, ताकि तनाव को कम किया जा सके।
घायलों को तुरंत स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है। पुलिस ने घटना की जांच शुरू कर दी है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है। गांव में फिलहाल पुलिस कैंप कर रही है और स्थिति
पर नजर रख रही है।
दोनों पक्षों का रुख
एक समुदाय का कहना है कि जब Hazaribagh सरकारी विद्यालय में पहले से ही एक धार्मिक प्रतीक (मीनारनुमा गेट) मौजूद है और प्रशासन ने इसे हटाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया, तो उन्हें भी वहां अपना धार्मिक झंडा लगाने का पूरा अधिकार है। उनका तर्क है कि अगर एक पक्ष को धार्मिक प्रतीक स्थापित करने की छूट दी गई है, तो दूसरे पक्ष के साथ भेदभाव क्यों किया जाए। वहीं, दूसरा समुदाय इस बात पर अड़ा है कि सरकारी जमीन पर किसी भी तरह का धार्मिक निर्माण या झंडा लगाना गैरकानूनी है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
तनावपूर्ण माहौल और आगे की चुनौतियां
हालांकि Hazaribagh पुलिस और Hazaribagh प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित कर लिया है, लेकिन गांव में तनाव अब भी बरकरार है। मोटरसाइकिलों में आगजनी और पथराव की घटनाओं ने दोनों समुदायों के बीच अविश्वास को और गहरा कर दिया है। स्थानीय लोग डरे हुए हैं और प्रशासन पर सवाल उठा रहे हैं कि अगर पहले ही इस विवाद को सुलझा लिया गया होता, तो शायद यह नौबत न आती।
महाशिवरात्रि जैसे धार्मिक अवसर पर हुई इस घटना ने जिला प्रशासन के सामने शांति और सौहार्द बनाए रखने की बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि प्रशासन इस मामले को कैसे सुलझाता है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाता है। फिलहाल, डुमरौन गांव में शांति बहाली के प्रयास जारी हैं, लेकिन दोनों पक्षों के बीच लंबे समय से चली आ रही कटुता को खत्म करना आसान नहीं होगा।