Kanpur News: घुटनों में खराबी दबे-पांव चपेट में नहीं लेती है। पांच से 10 साल पहले ही इसके लक्षण गठिया के रूप में दिखने लगते हैं। 65 फीसदी मामलों में अनदेखी की वजह से जवानी में ही घुटने बूढ़े हो रहे हैं। स्थिति है कि 45 साल की उम्र में ही घुटना प्रत्यारोपण कराना पड़ रहा है। कानपुर ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के वार्षिक सम्मेलन में देश-प्रदेश के जुटे विशेषज्ञों ने कम उम्र में हड्डियों और घुटने की बढ़ती दिक्कतों पर चिंता जताई।
वाराणसी के वरिष्ठ ऑर्थो विशेषज्ञ व यूपी ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के सचिव डॉ अमित जायसवाल कहते हैं कि युवाओं में घुटनों के खराब होने के मामले अचानक नहीं होते हैं। गठिया की चपेट में आने के बाद पांच-दस साल पहले जोड़ों में दर्द, सूजन, अकड़न के अलावा घुटने को पूरी तरह से मोड़ने या सीधा करने में कठिनाई जैसे लक्षण दिखने लगते हैं। इन लक्षणों पर ध्यान न देने और गठिया का इलाज न करना ही खतरनाक है। एक भी बार दवा या इलाज नहीं कराने से आगे चलकर घुटना प्रत्यारोपण की नौबत आ जाती है। पहले प्रत्यारोपण की उम्र 60 से 70 साल मानी जाती थी पर अब यह 42 से 45 वर्ष में ही किया जा रहा है।
दर्द की एक गोली ने भी बिगाड़ा हाल
यूपी ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के स्टेट प्रेसिडेंट डॉ. पीयूष मिश्रा ने कहा कि बार-बार दर्द की दवा खाना घुटनों के लिए भी खतरनाक है। अगर लंबे समय तक ऐसा कर रहें तो सचेत हो जाएं। दर्द की एक गोली का अत्यधिक या अनुचित उपयोग घुटनों की समस्याओं को बढ़ा सकता है। शरीर का बढ़ता वजन हड्डियों की उम्र घटा रहा है। मोटापे पर कंट्रोल जरूरी है।
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दिन में 20 मिनट की धूप जरूर लें
हड्डियों और घुटने की सेहत के लिए सबसे जरूरी चीजों में विटामिन डी है। इसकी कमी से हड्डियों और घुटने पर खराब असर पड़ना तय है। विशेषज्ञों ने कहा कि देह काली न पड़ जाए इसलिए युवा धूप से दूरी बना रहे हैं। इसमें से 70 फीसदी महिलाएं चपेट में आती हैं। यह एक बड़ा भ्रम बड़े खतरे की ओर ले जा रहा है। सुबह 10 से दो बजे के दौरान कम से कम 20 मिनट की धूप जरूर लेनी चाहिए।
इन बातों का रखें विशेष ध्यान
- कई घंटे एक ही जगह बैठकर काम न करें
- काम के बीच-बीच में कुछ देर टहलना जरूरी
- शरीर के वजन को कंट्रोल करना भी जरूरी
- तकलीफ होने पर अनदेखी के बदले इलाज करें
- कोई भी दवा या इलाज डॉक्टरी सलाह के नहीं।