मेरठ में रिश्वतखोर दरोगाजी 20 हजार लेते गिरफ्तार
अतुल शर्मा
मेरठ(यूपी)। कमिश्नर साहब हैं। आईजी-डीआजी साहब हैं। कप्तान साहब भी हैं। जिले में 32 थाने भी हैं, मगर देखिए कि सबकी नाक के नीचे एक दरोगा विक्रम सिंह पिछले करीब सवा साल से ज्वेलरी शॉप में अपनी अवैध वसूली की दुकान खोलकर बैठे थे।
जुए-सट्टे से लेकर नशे का कारोबार करने वाले हों या फिर अवैध पशुओं के कटान का गोरखधंधा करने वाले दरोगाजी सभी से अपने ठिए पर अवैध वसूली करके इन अवैध धंधों को संरक्षण देते थे। वो तो साहब के सितारे पलटे कि एंटी करप्शन टीम ने 20 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथ धर-दबोचा।
ये हैं कलाकार दरोगाजी विक्रम सिंह
पिछले करीब सवा साल से दरोगा विक्रम सिंह की मेरठ के थाना भावनगर में पोस्टिंग है। उनकी कारगुजारियों के चर्चे आम होने का ही नतीजा रहा होगा कि साहब को चौकी तक का चार्ज नहीं मिल सका।
जुगाड़बाजी से थाने से अटैच होकर ही साहब ने अपनी चौकी कहें या थाना खोल लिया। इलाके की ही एक जूलरी शॉप में। इसी शॉप पर बैठकर दरोगा दिनभर अवैध मादक पदार्थ तस्करों से, पशुओं का अवैध कटान करने वालों से जुआ-सट्टा खिलवाने वालों से डिलिंग करते थे।
ऐसे पकड़े गए दरोगा जी
दो दिन पहले मेरठ के पुलिस कप्तान से मिलकर कुछ लोगों ने दरोगाजी की करतूतों का पुलिंदा सोंपते हुए उनकी कारगुजारियों की पूरी दास्तां सुनाई। कप्तान ने रजामंदी के बाद ही एंटी करप्शन की टीम ने साहब को 20 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।
भावनगर से बाहर भी था दरोगाजी का कार्यक्षेत्र
भले ही विभाग की तरफ से हुई तैनाती के लिहाज से दरोगाजी विक्रम सिंह की पोस्टिंग भले ही भावनगर थाने में रही हो, मगर साहब का कार्यक्षेत्र सिर्फ थाने तक ही सिमटा नहीं था।
बल्कि इनकी मार देहात के कई इलाकों तक भी थी। सूत्रों का दावा है कि दरोगाजी के खिलाफ पहले भी कई मर्तबा शिकायतें हुई, मगर उच्चाधिकारियों से अपने संबंधों के बूते और रसूखदारों के यहां हाजरी बजाने की वजह से शिकायतों पर कोई एक्शन नहीं हो सका।