Jhansi News: उत्तर प्रदेश के झांसी मेडिकल कॉलेज में हुए भीषण अग्निकांड में एक वीरता और मानवता की मिसाल पेश की गई। महोबा जिले के परसहा गांव निवासी कुलदीप सिंह ने अपनी जान की परवाह किए बिना 6 बच्चों को आग की चपेट से बचा लिया। इस साहसिक कार्य के बाद कुलदीप खुद अपने नवजात बच्चे से बिछड़ गए, लेकिन उनकी कोशिशों का फल उन्हें मिला और अंततः उनका बच्चा सुरक्षित पाया गया।
आग की लपटों के बीच दिखाया साहस
कुलदीप सिंह ने बताया कि वह अपनी पत्नी नीलू और नवजात बेटे के इलाज के लिए झांसी मेडिकल कॉलेज गए थे। शुक्रवार रात करीब 10 बजे जब वह इमरजेंसी विभाग में दवा लेने पहुंचे, तो अस्पताल में आग लगने का दृश्य देखकर स्तब्ध रह गए। आग तेजी से फैल रही थी और चारों ओर अफरा-तफरी का माहौल था। इसी दौरान उन्होंने खिड़की तोड़कर अंदर फंसे 6 बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला।
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अपने बच्चे को खोजते रहे, आखिरकार मिला सुखद अंत
इस बहादुरी के बाद भी कुलदीप का खुद का बच्चा लापता था। पत्नी नीलू का रो-रोकर बुरा हाल था। घंटों की खोजबीन के बाद पता चला कि आग की भगदड़ में झांसी की एक महिला संध्या ने उनके बच्चे को अपना समझकर त्रिवेदी अस्पताल में भर्ती कराया था। बाद में संध्या ने स्पष्ट किया कि यह बच्चा उनका नहीं है। झांसी के एडीएम की मदद से कुलदीप और नीलू को आखिरकार उनका बच्चा मिल गया।
चारों ओर चर्चा में
कुलदीप के इस साहसिक और मानवीय कृत्य की चारों ओर चर्चा हो रही है। उन्होंने न केवल 6 परिवारों के चिराग बुझने से बचाए, बल्कि अपनी मानवता और निडरता का एक बेहतरीन उदाहरण पेश किया।