लेखपाल, कानूनगो और तहसीलदार ने मिलकर किया खेल
बता दें कि, महाराजपुर निवासी झर्री ने कोर्ट में दिए प्रार्थना पत्र में कहा था कि उनकी मां नन्ही की तीन बेटियां चमेली, झर्री और ननकी हैं। मां की मौत के बाद बिठूर के नायब तहसीलदार ने 21 जनवरी 2012 को नन्हीं का नाम हटाकर तीनों बेटियों का नाम खतौनी में दर्ज करने का आदेश कर दिया। 15 जून 2016 को कार्यरत नायब तहसीलदार बिठूर ने पारिवारिक विरोधियों से मिलकर बिना तीनों बहनों का पक्ष सुने और एक सितंबर 2017 को उनका नाम काटकर मृत नन्हीं का नाम खतौनी में दर्ज कर दिया।
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वीरेंद्र कुमार का नाम खतौनी में किया गया दर्ज
इस मामले के बाद पांच अक्तूबर 2017 को झर्री के पारिवारिक विरोधियों कालीदीन के बेटे बाबूराम, रामकिशोर, कृष्ण कुमार, शिवशंकर और वीरेंद्र कुमार का नाम खतौनी में दर्ज कर दिया गया। झर्री ने धोखाधड़ी व कूटरचना का आरोप लगाते हुए जून 2016 में कार्यरत बिठूर के नायब तहसीलदार, जून 2016 व सितंबर 2017 में तैनात कानूनगो और लेखपाल के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने की मांगी की थी। मृतक का नाम खतौनी में दर्ज करने को कानूनन गलत मानते हुए कोर्ट ने अब तीनों के खिलाफ कोतवाली थाने को एफआईआर के आदेश कर दिया है।
तीनों पर FIR दर्ज करने का आदेश देने के साथ ही कोर्ट ने गंभीर टिप्पणी भी की है। आदेश में कहा किसी लोक सेवक द्वारा कारित कूटरचना व धोखाधड़ी का कार्य उसके पदीय दायित्व के सम्यक निवर्हन के अनुक्रम में किया गया कार्य नहीं माना जा सकता है। इसलिए सभी पर संज्ञेय अपराध का मामला बनता है।
फर्जी कब्जा देने के मामले में दो लेखपाल निलंबित
हाल में हुए जमीन के फर्जी मामलेकिसान बाबू सिंह की जमीन को फर्जी तरीके से दाखिल खारिज करने में नायब तहसीलदार हटाए गए। वहीं हंसपुरम में बीएसीएल कंपनी को फर्जी कब्जा देने में दो लेखपाल हो चुके निलंबित किए। मकसूदाबाद में सरकारी जमीन बेचने का ऑडियो वायरल होने पर लेखपाल का निलंबन। उधर मसवानपुर में तालाब की जमीन खरीदने पर लेखपाल को किया जा चुका है निलंबित। लगातार लेखपाल और तहसीलदार के खेल करने के मामले सामने आए हैं।