Kanpur News: कानपुर में इस समय चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। पहले जहां यह बुखार सितंबर और अक्टूबर में ही खत्म हो जाता था। वहीं अब नवंबर में भी इसके मरीज देखे जा रहे हैं। चिकनगुनिया के कारण तेज बुखार और जोड़ों में तीव्र दर्द हो रहा है। लोग चलने-फिरने में भी असमर्थ हो जा रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि इस साल लंबे समय तक बारिश के कारण मच्छरों की संख्या बढ़ी है, जो इस बुखार का कारण बन रहे हैं। ऐसे में मरीजों को जल्दी इलाज शुरू कराना जरूरी ताकि वे इस बीमारी से जल्दी उबर सकें।
सितंबर-अक्टूबर तक बरसात होने की वजह से बढ़े मरीज
डॉक्टरों की माने तो इस बार बरसात का मौसम काफी लंबे समय तक रहा है। इस कारण एंटीज मॉस्किटो वालो मच्छर बहुत है। इस मच्छर के काटने से ही चिकनगुनिया होता है। इस मच्छर को टाइगर मासकीटों भी कहते हैं।
ओपीडी में 40 प्रतिशत मरीज चिकनगुनिया के
कानपुर मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के प्रो. डॉ. विशाल गुप्ता ने बताया कि इन दिनों ओपीडी में लगभग 40 प्रतिशत मरीज सिर्फ चिगनगुनिया वाले ही आ रहे हैं। इनको पहले हाई ग्रेड फीवर आता है, इसके बाद फिर शरीर के सभी जोड़ों में दर्द शुरू हो जाता है। ये दर्द इतना भीषण होता है कि चलने फिरने के लिए मरीज मोहताज हो जाता है।
एक सप्ताह में उतर रहा बुखार, दो माह लग रहा दर्द ठीक होने को
डॉ. गुप्ता की माने तो इस बुखार को पूरी तरह से ठीक होने में एक हफ्ते का समय लग रहा है, लेकिन जोड़ो के दर्द को ठीक होने में लगभग दो माह की समय लग रहा है। यदि इसमें किसी ने लापरवाही बरती तो ये दर्द 6-6 माह तक खिचता हैं। इसलिए इसमें लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए।
डेंगू जैसे लक्षण पाए गए
डॉक्टरों की मानें, तो चिकनगुनिया में भी डेंगू जैसे लक्षण पाए जाते है। पहले तेज बुखार, फिर जोड़ों में दर्द और इसके बाद शरीर में लाल चकत्ते भी पड़ने लगते हैं। इस लिए जैसे ही बुखार आए तो तुरंत ही इसका इलाज शुरू कर दें। इसके साथ ही डाक्टर की सलाह पर तुरंत जरूरी जांचें कराएं, जिससे उचित इलाज मिल सके।
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इन बातों का रखें विशेष ध्यान
– सबसे पहले मच्छरों बचाव करना है।
– घर के आसपास कही भी पानी को इकट्ठा न होने दें।
– फूल आसतीन वाले कपड़े पहने।
– रात में मासकीटों नेट का प्रयोग करें।
– जो पहले से किसी न किसी बीमारी से पीड़ित है ऐसे मरीज ज्यादा सावधान रहे।
– बुखार आने पर मेडिकल स्टोर से दवा लेकर न खाए।
– मौसमी फलों का सेवन खूब करें, खास कर रस वाले फल।
– बाहर की तली-बुंझी और बासी खाना न खाए।
– घरों में कूलर का प्रयोग कर रहे हो तो उसका पानी समय-समय पर बदलते रहें।
– खाने में हरी सब्जियों को जरूर शामिल करें।