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Thursday, October 17, 2024
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मिलावटखोरों के खिलाफ Kanpur Court का एक्शन, मिलावटी घी बेचने वालों को उम्रकैद के साथ ₹1.62 लाख का जुर्माना!

Kanpur Court Decision : मिलावटी खाद्य सामग्री (Adulteration) से होने वाली बीमारियों को लेकर लोग जागरूक होने लगे है। इसलिए ज्यादातर लोग थोड़ा महंगा ही सही लेकिन ब्रांडेड खाद्य सामग्री उपयोग करने का प्रयास करते हैं। लेकिन जब ब्रांडेड खाद्य सामग्री में भी मिलावट होने लगे तो लोग किस पर भरोसा करें। ऐसे ही एक मामले पर गंभीरता से लेकर नामी कंपनियों के नाम पर मिलावटी देशी घी (Adulterated Desi Ghee) बेचने पर कानपुर कोर्ट ने दो लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही दोनों पर 1.62-1.62 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

एक आरोपी की मुकदमे के ट्रायल के दौरान मौत हो गई थी। अपर जिला जज आठ राम अवतार प्रसाद की कोर्ट ने 15 साल बाद फैसला सुनाया है। एसटीएफ ने दोनों को गिरफ्तार किया था, जिसके बाद इन पर मिलावट से मानव जीवन के स्वास्थ्य पर खतरनाक प्रभाव डालने, फर्जीवाड़ा करने, नामी-गिरामी कंपनियों के फर्जी रैपर छपवाने की धाराएं लगाई गई थीं।

2009 में की गईं थी छापेमारी

एसएसपी एसटीएफ को शिकायत मिली थी कि कानपुर, फतेहपुर, प्रयागराज में नकली पराग और AMUL के टेट्रा और पाली पैक छपवाकर उनमें मिलावटी देशी घी की बिक्री की जा रही है। तीन मार्च 2009 को एसटीएफ की टीम ने गांधी नगर में छापा मारा तो एक व्यक्ति ड्रम में रखा मिलावटी घी अनिक, अमूल, पराग, पारस के पैक में तौलकर भर रहा था। दूसरा पैक कर रहा था, जबकि तीसरा व्यक्ति उन्हें गत्ते में रख रहा था।

ये सामान बरामद हुआ था

पकडे जाने के बाद तीनों ने अपने नाम कानपुर के देवनगर रायपुरवा निवासी मनोज कुमार गुप्ता, चकेरी के न्यू आजाद नगर में रहने वाले मूलरूप से फतेहपुर के भरेठा निवासी राजेंद्र प्रसाद मौर्या और हरजेंदर में रहने वाले मूलरूप से कौशांबी के सैनी के डोरसा अटसरई निवासी विनोद कुमार प्रजापति बताए। इनके कब्जे से सैकड़ों ट्रेटा, पाली पैक, मिलावटी घी समेत अन्य सामग्री बरामद की गई थी।

दो को मिली सजा, एक की हो गईं मौत

सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि 22 जुलाई 2013 को अदालत ने अभियुक्तों पर आरोप तय किए थे। अभियोजन ने आठ गवाहों की गवाही कराई। लैब में जांच के बाद नमूनों के मिलावटी होने के इविडेंस पेश किए। मुकदमे के ट्रायल के दौरान मनोज गुप्ता की मौत हो गई थी। अदालत ने साक्ष्यों के आधार पर बाकी दोनों दोषियों को सजा सुनाई।

त्योहारों में सक्रिय हो जाते हैं मिलावटखोर

होली को बदरंग करने के लिए खाद्य पदार्थो में मिलावट का बाजार गर्म हो जाता है। त्योहार पर मुंह मीठा कराने वाले आइटम से लेकर गुझिया व लजीज व्यंजनों में इस्तेमाल होने वाले खाद्य पदार्थों में मिलावट होने लगती है। आलम ये है कि मिलावट इतनी सटीकता के साथ की जाती हैं कि आम आदमी इसे पहचान नहीं सकता है और वैज्ञानिक पद्धति से वह इसकी जांच कर नहीं सकता है।

चिकित्सकों की मानें तो मिलावट का ये बाजार लोगों के लीवर से लेकर अन्य अंगों तक को खतरे में डाल देता है। इसके अलावा गैस, कब्ज, एसिडिटी जैसी बीमारियां इन मिलावटी सामानों को खाने के बाद बोनस के रूप में मिलती हैं। हालांकि हर बार की तरह फूड विभाग मिलावट पर नकेल कसने का दावा कर रहा है।

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