Kanpur : देश के दुश्मनों से सामना करते हुए अब जवानों को बुलेट प्रूफ जॉकेट के भार की समस्या की समस्या से निजात मिल जाएगा। कानपुर में DRDO की DMSRDE ने शोध कर इस तरह की जॉकेट को विकसित किया है। इस जाकेट के लिए दावा किया गया है कि यह नई तकनीक की विकसित जॉकेट देश की अब तक की सबसे हल्की जॉकेट है। इसके अलावा भार कम होने के बावजूद इस जॉकेट से मिलने वाली सुरक्षा पहले के मुकाबले कई गुना अधिक है।
गोला-बारूद के हमले से बचाव के लिए सक्षम
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी डीआरडीओ की कानपुर (Kanpur News) शहर स्थित शाखा रक्षा सामग्री, भंडार अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान ‘DMSRDE’ ने जॉकेट विकसित की है। यह जॉकेट जवानों को 7.62 गुणा 54 आरएपीआई ‘ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स 17051 के लेवल छह’ गोला-बारूद से बचाव के लिए सक्षम है। जॉकेट का विकास उत्कृष्ठ वैज्ञानिक, डॉ. मयंक द्विवेदी, डीएमएसआरडीई कानपुर के निदेशक डॉ. जेएन श्रीवास्तव, अजितेंद्र सिंह परिहार व अरुण कुमार की टीम ने किया है।
चंडीगढ़ की प्रयोगशाला में हो चुका सफल परीक्षण
बताया गया कि डीएमएसआरडीई में विकसित की गई बुलेट प्रूफ जॉकेट का हाल ही में टर्मिनल बैलिस्टिक अनुसंधान प्रयोगशाला चंडीगढ़ में सफल परीक्षण किया जा चुका है। इस जॉकेट के फ्रंट हार्ड आर्मर पैनल ने इन-कंजंक्शन विद और स्टैंडअलोन डिजाइन दोनों में ही स्नाइपर राउंड से चली छह गोलियों को बेअसर कर दिया।
जॉकेट के फ्रंट को एर्गाेनामिक रूप से डिजाइन किया गया है और ये पॉलीमर बैकिंग के साथ मोनोलिथिक सिरेमिक प्लेट से बना है। इस वजह से ऑपरेशन के दौरान ये जॉकेट पहने जवान खुद को आरामदायक और दुश्मन की गोली से सुरक्षित महसूस कर सकेंगे।