Kanpur Drug Department: अस्पताल छोटा हो या बड़ा यहां लेकिन आपको अस्पताल द्वारा संचालित मेडिकल स्टोर जरूर मिल जाएगा, जिसके चलते अस्पताल संचालक मनमानी करते हैं। उनके यहां लिखी दवा उनके अलावा किसी अन्य मेडिकल स्टोर में नहीं मिलती है। इस कारण इसका खामियाजा महंगी दवा खरीदकर मरीज को चुकाना पड़ता है। अब इसी मनमानी की रोकथाम के लिए ड्रग विभाग अभियान चलाएगा। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक शहर में तीन हजार से ज्यादा पंजीकृत नर्सिंग होम, हॉस्पिटल व क्लीनिक हैं। इनमें से सौ बड़े हॉस्पिटल, 1100 नर्सिंग होम और 1800 के करीब क्लीनिक हैं। तमाम हॉस्पिटल तो अवैध रूप से संचालित किए जा रहे हैं।
बिना लाइसेंस चल रहे मेडिकल स्टोरों को बंद करने की मांग
दरअसल, कई महिने से यूपी केमिस्ट संघर्ष समिति मांग कर रही है कि नर्सिंग होम व क्लीनिकों में बिना लाइसेंस चल रहे मेडिकल स्टोरों को बंद किया जाए। नर्सिंग होम व क्लीनिकों में डाक्टर की लिखी दवाएं बाहर के मेडिकल स्टोरों में भी उपलब्ध हों। प्रदेश संयोजक राजेंद्र सैनी के मुताबिक यह मांग शासन से की गई थी, जिस संबंध में अपर आयुक्त प्रशासन रेखा एस चौहान ने आदेश जारी कर ड्रग विभाग को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। जिले की ड्रग इंस्पेक्टर रेखा सचान ने बताया कि खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग की टीम नर्सिंग होमों व क्लीनिकों में संचालित हो रहे मेडिकल स्टोरों में जांच पड़ताल करेगी। प्राइवेट डॉक्टर द्वारा मरीज को लिखीं दवाएं सभी मेडिकल स्टोरों में मिलनी चाहिए।
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अपर आयुक्त प्रशासन तक पहुंची शिकायत
अपर आयुक्त प्रशासन द्वारा जो पत्र जारी किया गया है, उसमें लिखा है कि यह शिकायत मिल रही है कि नर्सिंग होम, प्राइवेट हॉस्पिटल व क्लीनिकों के संचालक कुछ मेडिसिन मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी से साठगांठ कर लेते हैं। उसके बाद वह अपने नर्सिंग होम व हॉस्पिटल में उसकी ब्रांड की कंपनी की ही दवा व इंजेक्शन रखते हैं। मरीज व उनके तीमारदार को उन्हीं के मेडिकल स्टोर से मजबूरन दवा खरीदनी पड़ती है।
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