Kanpur News: डेढ़ माह बाद प्रयागराज जिले में संगम तट पर शुरू हो रहे महाकुंभ को लेकर यूपी सरकार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है, लेकिन असल में मां गंगा की अविरलता को लेकर जो दावे हैं। वह जमीन पर कहीं नहीं टिकते हैं। कानपुर से होकर ही मां गंगा की धारा प्रयागराज जाती है। ऐसे में यदि कानपुर में गंगा नदी में गिर रहे गंदे नाली का पानी नहीं रूक रहा है तो ऐसे में आचमन के लिए निर्मल जल कैसे मिलेगा। अब बड़ा सवाल लाजिमी है। गंगा बैराज से लेकर जाजमऊ तक आधा दर्जन से अधिक नाले सीधे गंगा में गिर रहे हैं। इनमें सीसामउ नाला टेप होने के बाद भी ड्राई सीजन में गिर रहा है। अटल घाट स्थित परमिया नाला और और परमट के आसपास कई छोटे नाले गंगा में मिलकर जहरीली कर रहे हैं।
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साऊथ इंडिया की कंपनियों के पास टेंडर
सूत्रों के अनुसार, टेपिंग के बाद पंपिंग स्टेशन चलाने और एसटीपी में शोधन के लिए साउथ इंडिया की कई नामी कंपनियों के पास टेंडर हैं। यह कंपनियां स्थानीय स्तर पर छोटे ठेकेदारों से पंप एवं एसटीपी संचालन करा रही हैं। इसके एवज में हर साल करोडों रूपया भुगतान किया जा रहा है। असल में टेप नालों को डायवर्ट करने वालों स्थानों पर बने पंपिंग स्टेशन डीजल बचाने के चक्कर में नहीं चलाए जाते हैं। इससे नाले ओवरफ्लो होकर गंगा में जा रहे हैं। परमट मंदिर के पास बने पंपिंग स्टेशन की 4 मोटरों में 3 तो खराब चल रही हैं।
कानपुर महानगर के जिम्मेदार विभाग
कानपुर महानगर के जिम्मेदार विभाग, नगर निगम और जलनिगम के अधिकारियों की मिलीभगत है या फिर अनदेखी जिसकी वजह से मां गंगा की बदहाली बनी हुई है। वहीं, अधिकारी गुमराह करने के लिए मेट्रो एवं अन्य को जिम्मेदार बताकर पल्ला झाड लेते हैं, लेकिन हकीकत में यह दिक्कत और कहीं है।
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