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Kanpur News: लाखों के गांजा तस्करी रैकेट का भंडा फूटा, 35 लाख के गांजे के साथ 4 गिरफ्तार

Kanpur News: कानपुर क्राइम ब्रांच और सजेती पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। पुलिस ने उड़ीसा से कानपुर नगर की सीमा पर स्थित शिवली थानाक्षेत्र के औनहां में गांजे की खेप जिसे उतारने के लिए दो ट्रक ड्राइवर, एक हेल्पर और खरीदार आए थे। उन्हें गिरफतार कर लिया है। पुलिस ने इनके कब्जे से 346 किलो गांजा, एक कंटेनर (ट्रक) और एक बोलेरो गाड़ी बरामद की है।

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पुलिस के मुताबिक पकड़े गए गांजे की कीमत करीब 35 लाख रुपये है। शिवली में गांजे की गाड़ी अनलोड कर बोलेरो से गांजा फुटकर में कानपुर नगर और कानपुर देहात की गलियों में पहुंचाया जाता था।

गांजे की खपत के लिए बड़ी मंडी के रूप में उभर रहा कानपुर

पकड़े गए ट्रक ड्राइवर सुखविंदर सिंह ने बताया कि ” वह हरियाणा फतेहाबाद के बूना गांव का रहने वाला है और 12वीं पास है। उड़ीसा में गांजा डीलर संतोष है, जो 35 हजार रुपये किलो के हिसाब से गांजा देता है। वे ट्रक में लगभग 400 किलो गांजा एक बार में लाते हैं। देवरिया के मुरारी गुप्ता ने शिवली के औनहां निवासी श्याम जी का नंबर दिया था और बात कराई थी। श्याम जी ने 16 लाख रुपये ट्रांसफर किए थे। जिसके बाद वे अपने साथी पंजाब अमृतसर के तरन-तारन चाटीविण्ड निवासी बलजीत सिंह और सिरसा के गौरीवाडा निवासी कुलविन्दर सिंह के साथ गांजे की सप्लाई करने के लिए कानपुर देहात के शिवली आए थे।”

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कानपुर में भारी मात्रा में सप्लाई

एक महीने में लगभग 80 लाख रुपये का गांजा कानपुर में सप्लाई करते हैं। महीने में दो बार चक्कर लगा लिया जाता है। जिसमें लगभग 80 लाख रुपये का गांजा कानपुर आता है। इसी तरह से दो टीमें और उड़ीसा से गांजा कानपुर लाती हैैं। ये भी जानकारी क्राइम ब्रांच को दी कि दो गाडियां कानपुर में गांजा छत्तीसगढ़ से भी लाती हैं। अगर कुल मिलाकर देखा जाए तो एक ट्रक की गांजे की कीमत 40 लाख है और छह ट्रक कानपुर में गांजे के आते हैं। कुछ मिलाकर दो करोड़ 40 लाख रुपये का गांजा हर महीने कानपुर में आता है।

एजुकेशनल हब वाले जिले गांजा तस्करों के निशाने पर

पकड़े गए ट्रक ड्राइवरों ने बताया कि यूपी के जिन जिलों में एजुकेशनल हब यानी कोचिंग या इंस्टीट्यूट अधिक संख्या में हैैं। उड़ीसा और छत्तीसगढ़ के गांजा माफियाओं ने उन जिलों को निशाना बना रखा है। नोएडा, प्रयागराज, लखनऊ, कानपुर और आगरा इनके निशाने पर हैं। सारा काम माफिया और उसके जिलों में फैले गुर्गे करते हैैं। हम लोग तो केवल सप्लाई देने आते हैैं। एक चक्कर में 80 हजार से एक लाख रुपये बच जाता है। 1 महीने में दो चक्कर लगा लेते हैैं।

पहली बार में गांजे के नाम पर उतार गए थे 85 किलो कूड़ा

औनहां निवासी श्याम जी ने बताया कि उनके पास दूसरी बार गांजे की खेप आई थी। इसके पहले ट्रक ड्राइवर सुखविंदर 85 किलो गांजा उतार गया था,लेकिन वह गांजा कूड़ा था।  जिसकी वजह से उसका नुकसान हो गया था। इस बार गांजे की दूसरी खेप मंगाई थी। कानपुर नगर और कानपुर देहात में गांजे की बहुत मांग है।

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