Kanpur News: हाईवे पर बढ़ते सड़क हादसों को कम करने में सहयोग करने के लिए आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञ आगे आए हैं। टीम न सिर्फ दुर्घटनाओं की मुख्य वजह तलाशेगी बल्कि हादसों को रोकने की रिपोर्ट भी तैयार करेगी। प्रारंभिक चरण में चकेरी, भौंती और प्रयागराज हाईवे पर काम किया जाएगा। आईआईटी के विशेषज्ञों ने आरटीओ और NHAI से पिछले पांच वर्षों के हादसों का विवरण मांगा है। इनमें ब्लैक स्पॉट, घुमावदार मोड़, चौराहे, स्लिप रोड, अंडरपास आदि की जानकारी शामिल होगी। बड़े हादसों की तकनीकी रिपोर्ट भी देने के लिए कहा है।
हादसों की वजह तलाशने का किया जा रहा कार्य
कानपुर से होकर जीटी रोड, नौबस्ता-सागर, भौंती-सचेंडी, कानपुर-लखनऊ, कानपुर-प्रयागराज और गंगा बैराज-उन्नाव हाईवे गुजरते हैं। यहां पर होने वाले हादसों में आए दिन कई लोगों की जान चली जाती है। कई बार मामूली हादसा होने पर लंबा जाम लग जाता है। बढ़ते हादसों पर लगाम लगाने के लिए जिला प्रशासन, आरटीओ, ट्रैफिक, एनएचएआई, पीडब्ल्यूडी, नगर निगम, केडीए समेत अन्य विभाग अपने स्तर पर कार्य कर रहे हैं। पूर्व में चिह्नित 17 ब्लैक स्पॉट पर डिवाइडर, साइन बोर्ड, साइन एज, सड़क चौड़ीकरण, गति अवरोधक आदि पर काम किया गया है। अब नए जगहों पर हादसों की वजह तलाशने का कार्य किया जा रहा है।
सचेंडी और जीटी रोड का जल्द कर सकती निरीक्षण
इसी बीच आईआईटी कानपुर के ह्मुमैनिटीज विभाग के विशेषज्ञों ने संभागीय परिवहन अधिकारी कार्यालय (आरटीओ) और एनएचएआई के अधिकारियों से मिलकर पूर्व के हादसों, हाईवे की स्थिति आदि की रिपोर्ट मांगी है। एआरटीओ प्रशासन आलोक कुमार सिंह ने बताया कि प्रवर्तन विभाग की टीम भौंती, सचेंडी और जीटी रोड का जल्द ही निरीक्षण कर सकती है।
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तकनीक आधारित होगा मुआयना
आईआईटी के विशेषज्ञ हादसों वाली जगहों का तकनीक पर आधारित मुआयना करेंगे। संभावित ब्लैक स्पॉट और दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्र की थ्री डी मैपिंग और ड्रोन सर्वे कराया जा सकता है। वाहनों की स्पीड कितनी होनी चाहिए व किन वजहों से हादसे हो रहे हैं और इनको रोकने के लिए क्या अस्थायी और स्थायी व्यवस्था हो सकती है, इस पर काम किया जाएगा।
वाहनों के AI सिस्टम की भी जांच
विशेषज्ञ वाहनों में आ रहे आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) का भी असर देखेंगे। निरीक्षण में देखा जाएगा कि वाहन चालक किस तरह से एआई सिस्टम का उपयोग कर रहे हैं। वाहनों के सेंसर और अन्य सिस्टम हादसों को रोकने में कितने कारगर साबित हो रहे हैं। भविष्य के वाहनों में किस तरह से एआई सिस्टम को अपग्रेड किया जा सकता है। इन बिंदुओं पर आईआईटी के विशेषज्ञ शोध कर सकते हैं।
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