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लोहा कारोबारियों ने फैक्टरियों के बाहर कैमरे लगवाने से किया मना, आखिर क्या है वजह?

Kanpur News
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Kanpur News: पान मसाला कारोबारियों के बाद लोहा कारोबारियों ने भी अपनी फैक्टरियों के बाहर सीसीटीवी कैमरे लगवाने से इन्कार कर दिया। एसजीएसटी के अपर आयुक्त के साथ हुई बैठक में उन्होंने साफ कहा कि यदि कैमरे लगवाने हैं तो लिखित आदेश करें। साथ ही निगरानी पर आपत्ति जताते हुए कहा कि पहले ही कारोबार 50 फीसदी रह गया है। ट्रेडर्स ने निगरानी के चलते उनसे माल खरीदना बंद कर दिया है। कानून में भी इस तरह की निगरानी के लिए कोई प्रावधान नहीं है, तो चलिए जानते हैं क्या है पूरा मामला।

लिखित आदेश हो तो उद्यमी कर सकें उसका पालन

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बता दें कि, एसजीएसटी के अपर आयुक्त (ग्रेड एक), कानपुर द्वितीय राम सनेही विद्यार्थी ने लखनपुर स्थित कार्यालय में प्रमुख लोहा निर्माता कंपनियों के प्रतिनिधियों और एसोसिएशन के सदस्यों के साथ बैठक में फैक्टरियों के बाहर सीसीटीवी कैमरे लगाने की बात कही थी। उनका कहना था कि ऐसा शासन का निर्देश है। इस पर राधेराधे इस्पात के प्रतिनिधि संजय त्रिपाठी ने कहा कि कोई लिखित आदेश हो तो उपलब्ध करवा दें, ताकि सभी उद्यमी उसका पालन कर सकें।

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नम स्टील के प्रतिनिधि ने किया सवाल

अधिकारियों ने बताया कि मौखिक आदेश ही है। इस पर पैनम स्टील के प्रतिनिधि ने सवाल किया कि ऐसी जांच करने के क्या मापदंड हैं? फीटा के महासचिव उमंग अग्रवाल ने 24 घंटे की निगरानी को व्यापार में बाधा बताते हुए इसे संविधान के अनुच्छेद 301 से 307 का उल्लंघन भी बताया। वे बोले, कर चोरी हो रही है तो विभाग धारा 67, 68 और 129 में कार्रवाई कर सकता है। श्री अग्रवाल ने कहा कि कारोबारियों को भयभीत किया जा रहा है। फैक्टरियों के बाहर चेक पोस्ट की तरह वाहनों की बैरिकेडिंग लगा दी गई है। शासन ने चेक पोस्ट की व्यवस्था खत्म की थी। फिर क्यों पुरानी व्यवस्था ट्रेड विशेष पर लादी जा रही है? सूचनाएं मिल रही हैं कि ऐसी निगरानी की वजह से उद्यमी प्रदेश से पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं।

अधिकारी के कमरे में क्यों नहीं लगाया गया कैमरा

उन्होंने कहा कि सरकारी विभागों में भी तो भ्रष्टाचार है। उसकी शिकायतें भी तो प्रशासन व शासन तक पहुंचती हैं, लेकिन आज तक किसी भी अधिकारी के कमरे में कैमरा नहीं लगाया गया। सरकारी विभागों में भी कैमरे लगें और उसकी एक्सेस कारोबारियों की दी जाए। ट्रेडर्स ने खुद को निगरानी से बचाने के लिए प्रदेश के निर्माताओं से कारोबार करना बंद कर दिया है। दूसरे राज्यों से माल खरीदने लगे हैं। ऐसे में यहां के उद्योग खुद ही बंद हो जाएंगे। ऐसे उपाय करने चाहिए, जिससे कर चोरी भी रुके और उद्यमियों का उत्पीड़न भी न हो। बैठक में राधे-राधे इस्पात, पैनम स्टील, रिमझिम इस्पात, आरएचएल के निदेशक व प्रतिनिधि शामिल हुए। एसजीएसटी की तरफ से अपर आयुक्त के अलावा संयुक्त आयुक्त मुकेश चंद्र पांडेय, शैलेश कुमार और अमित मोहन मौजूद थे।

व्यापारियों ने कहा कि जानकारी के अनुसार आगरा और गाजियाबाद में एसजीएसटी की टीमें रोस्टर के अनुसार लोहा फैक्टरियों की निगरानी कर रही हैं। इसका असर ये हुआ कि इन फैक्टरियों ने काम बंद कर दिया और इस संबंध में पत्र भी जारी कर दिया। वहीं नोएडा में जांच नहीं कराई जा रही है।

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