Kanpur News:अक्सर कान में होने वाले दर्द को लोग साधारण बीमारी समझ कर मेडिकल स्टोर से दवा लेकर काम चला लेते हैं लेकिन हर बार यह दर्द सााधारण नहीं होता। कानपुर में एक 67 साल के रिटायर शिक्षक के कान में तेज दर्द हुआ तो उन्होंने इसे मामूली समस्या समझा। घरेलू उपाय और दवा करने के बाद हालत बिगड़ने लगी तो अस्पताल भागे। यहां डॉक्टर ने उन्हें बताया कि यह हार्ट अटैक है।
इसी प्रकार से कल्याणपुर के कपड़ा कारोबारी को कान व गर्दन में पीड़ा रही तो उन्होंने इसे थकान और सर्दी का असर समझा। जांच में दिल का दौरा बताया गया।
रिसर्च में 70 फीसदी मरीजों को अटैक से पहले थी शिकायत
कान या आसपास के हिस्से में लंबे समय तक की अनदेखी जान को संकट में डालना है। हृदय रोग संस्थान में हार्ट अटैक के 5800 मरीजों पर अध्ययन में यह सामने आया है। कान के अलावा जबड़े, गर्दन और पीठ दर्द को मामूली समझने की भूल बेहद खतरनाक साबित हो सकती है। रिसर्च में शामिल मरीजों में से 70 फीसदी को अटैक से पहले जबड़े, कान- गर्दन और पीठ में दर्द की शिकायत रही। उधर, कॉर्डियोलाजी में मरीज बढ़ने लगे हैं। मौजूदा ओपीडी लगभग 12 से 1300 रोज की है।
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लक्षणों की जानकारी
अध्ययन में शामिल 30 से 75 साल के इन मरीजों को हार्ट अटैक के लक्षणों की सही जानकारी नहीं थी। यही वजह है कि समय पर लक्षण की पहचान नहीं होने से इलाज में देरी हुई। इस वजह से जान बचाना बेहद कठिन साबित होता है। cardiology के निदेषक डॉ. राकेश वर्मा ने बताया कि लंबे समय तक कान का दर्द है तो हार्ट अटैक का लक्षण है। 70 फीसदी मरीज कान, जबड़े, गर्दन के दर्द को मामूली समझ अनदेखी करते हैं। इससे समस्या और चुनौतियां दोनों बढ़ जाती है।
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