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Wednesday, December 18, 2024
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Kanpur : शहर का प्रदूषण बन रहा जान का दुश्मन, OPD में लगातार बढ़ रहे टीबी के मरीज!

Kanpur : कानपुर के वातावरण में फैले प्रदूषण (Kanpur Pollution) के कारण टीबी मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि देखने को मिल रही है। यहां के जाने माने मुरारी लाल चेस्ट हॉस्पिटल (Murari Lal Chest Hospital) की ओपीडी की बात करें तो यहां पर रोजाना लगभग 200 से 250 मरीज आ रहे हैं। इसमें करीब 50 प्रतिशत वह मरीज हैं जो यहां पर नए आ रहे हैं। बाकी मरीज वह हैं जिनको पहले से ही इसकी शिकायत थी और वह यहां पर अपना इलाज करा रहे हैं।

40 साल के बाद वालों में COPD की समस्या

चेस्ट हॉस्पिटल के डॉ. संजय वर्मा ने बताया कि इस समय ओपीडी में 15 से 20 प्रतिशत के करीब मरीज बढ़ गए हैं। इसमें टीबी के और सीओपीडी (बीड़ी, सिगरेट का सेवन करने वाले) दोनों तरह के मरीज आ रहे है। लगभग 40 साल के बाद वालों में सीओपीडी की दिक्कत देखने को मिल रही है। वहीं कम उम्र वालों में टीबी की समस्या (Tuberculosis due to Kanpur Pollution) हो रही है। इन दिनों वातावरण भी काफी गर्म है और बाहर प्रदूषण अधिक है। इसलिए भी मरीज बढ़ गए हैं।

जागरूकता के चलते ज्यादा लोग करा रहे इलाज

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डॉ. वर्मा ने बताया कि जो भारत सरकार की टीबी मुक्त योजना चल रही है। उससे लोग काफी जागरूक हुए हैं। घर-घर जाने वाली टीम लोगों की काउंसिलिंग कर रही हैं, यही कारण है कि जो मरीज चिह्नित किए जा रहे हैं वह भी अस्पताल में आ रहे हैं। इस कारण मरीजों की संख्या बढ़ी है।

धूल, धुआं और कंस्ट्रक्शन बन रहा समस्या

इन दिनों शहर में जगह-जगह निर्माण कार्य चल रहा है। इसके अलावा पहले से ही वातावरण में धूल और धूआं फैला हुआ है। डॉक्टरों की माने तो इसका असर लोगों के सीधे फेफड़ों में देखने को मिल रहा है, जो लोग सिगरेट और बीड़ी का सेवन करते हैं उन मरीजों को काफी ज्यादा परेशानी हो रही है।

लंग्स कैंसर के बढ़ रहे मरीज

डॉ. वर्मा ने बताया कि हफ्ते में 5 से 6 मरीज ओपीडी में ऐसे भी आ रहे हैं जिनको लंग्स कैंसर (Lungs Cancer) की समस्या हो रही है। हर ओपीडी में एक मरीज का आना तो संभव ही हैं। कभी-कभी इसकी संख्या दो भी हो जाती है।

डॉक्टर का कहना है कि जो मरीज ओपीडी में आ रहे हैं, उनमें से 50 प्रतिशत लोगों में कांटेक्ट हिस्ट्री देखने को मिली है। मतलब उनके घर में पहले से ही किसी न किसी को टीबी की बीमारी है, जिस कारण उन्हें भी हुई है।

इसलिए जिसको भी टीबी की समस्या घर पर है उसे बातचीत करने में मास्क का प्रयोग करना चाहिए और घर में वेंटिलेशन जरूर रखे ताकि किटाणुओं को बाहर निकलने की जगह मिले। इसी लिए जिसके घर में टीबी का मरीज हो उसके घर वालों को भी समय-समय पर अपनी जांच करा लेनी चाहिए।

खांसी में आए खून तो सीओपीडी के लक्षण

सीओपीडी में मरीज को खांसी आती है फिर खांसी के साथ बलगम आने लगता है। सांस फूलती और बलगम के साथ खून आने लगता है। वहीं, टीबी के मरीजों में खांसी में बलगम और बुखार आता है। धीरे-धीरे वजन कम होने लगता है। भूख लगना कम हो जाती है। किसी को भी यदि दो हफ्ते से ज्यादा खांसी आ रही हो तो ऐसे में जांच अवश्य करा लें।

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