चेक अवधि के मध्य हरिश्चन्द्र मिश्र वरिष्ठ प्रबंधक खादी एवं ग्रामोद्योग द्वारा लोकसेवक के रूप में कार्यरत रहते हुए जांच के लिए निर्धारित की गई। अवधि में अपनी आय के समस्त ज्ञात व वैध स्रोतों से कुल 72,46,904 लाख रुपये की आय अर्जित की तथा इस अवधि में इनके द्वारा परिसंपत्ति के अर्जन पर व भरण-पोषण पर किया गया।
जांच के दौरान सही ब्योरा न देने पर हुई कार्रवाई
बता दें कि, कुल व्यय 94,27,158 रुपये पाया गया। इस प्रकार जांच के लिए निर्धारित की गई अवधि में हरिश्चन्द्र मिश्र द्वारा ज्ञात व वैध स्रोतों से अपनी आय के सापेक्ष 21,80,254 लाख रुपये अधिक होना पाया गया जो उनकी आय व वैध स्रोतों से अर्जित आय से अनानुपातिक है। इस व्यय तथा परिसंपत्ति के अर्जन के संबंध में हरिश्चन्द्र मिश्र ने कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण प्रस्तुत नहीं किया गया। इस प्रकार जांच में हरिश्चन्द्र मिश्र के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया।
इन धाराओं में दर्ज हुआ मामला
कानपुर सेक्टर सतर्कता अधिष्ठापन थाने में दर्ज मुकदमे में 13(1)(बी) यानि यदि कोई लोक सेवक बेईमानी से या धोखाधड़ी से किसी संपत्ति का दुरुपयोग करता है या अन्यथा उसे अपने उपयोग के लिए परिवर्तित करता है और धारा 13 (2) यानि कोई लोक सेवक जो आपराधिक कदाचार करेगा, उसे कम से कम एक वर्ष के कारावास से सात वर्ष तक का हो सकेगा।