Kanpur News: कानपुर में वाहनों पर वीआईपी या वीवीआईपी नंबर लेने वालों की संख्या में गिरावट आई है। पिछले सप्ताह खत्म हुई वाहनों की जेबी सीरीज में 182 फैंसी या लकी नंबर लेने के लिए न्यूनतम बोली भी न लगने से इसका खुलासा हुआ है। 3, 101, 201, 301, 66, 22, 88 वीआईपी में शामिल रहने वाले नंबर हैं, लेकिन इस बार इन नंबरों का कोई खरीदार नहीं आया। परिवहन विभाग ने जेबी सीरीज के इन नंबरों को सीज कर दिया है। इसका मतलब इस सीरीज के नंबर किसी वाहन में नहीं दिखेंगे। हालांकि वाहनों पर 1, 1111, 3333 और 786 नंबर गुदवाने का क्रेज अभी भी बरकरार है।
VIP नंबर ना बिकने पर हो जाते सीज
एआरटीओ प्रशासन कानपुर आलोक कुमार ने बताया कि वाहनों की सीरीज में तय वीआईपी नंबर जब कोई नीलामी के जरिए नहीं लेता है तो वह नंबर सीज होता जाता है और सीरीज खत्म होते ही वह सभी नंबर सीज हो जाते हैं। इसके बाद इन नंबरों का कोई आवंटन नहीं करा सकता है। यह सतत प्रक्रिया हर सीरीज में चलती रहती है।
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348 होते हैं VIP या VVIP नंबर
1 से 9999 वाहनों की सीरीज में 348 वीआईपी या वीवीआईपी नंबर होते हैं। इसमें से 182 नंबरों का खरीददार नहीं आया। बाकी नंबरों पर रुचि कम होने की वजह यह बताई जा रही है कि डीलर प्वाइंट पर वाहनों का पंजीयन पर आम वाहन खरीदार को वीआईपी या वीवीआईपी नंबर की जानकारी कम हो पाती। जब आरटीओ में पंजीयन होता था तो बाबू से लेकर दलाल तक इन नंबरों की पेशकश करते थे तो नंबर आवंटित हो जाते थे।
मंत्री और शीर्ष अफसरों की लगती थीं सिफारिशें
परिवहन अफसरों ने बताया कि एक दशक पहले तक इन वाहनों के नंबर लेने का इतना क्रेज होता था कि वाहनों पर नंबर गुदवाने को परिवहन मंत्री से लेकर शीर्ष अफसरों तक की सिफारिशें लगती थीं। नीलामी प्रक्रिया में नंबर लेने की होड़ रहती थी तो तय रेट से तीन गुना तक ज्यादा दाम में नंबर आवंटित होते थे। अफसरों की मानें तो अब हर सीरीज में तय 348 नंबर में से औसतन 100-150 वाहनों के नंबर सीज होते हैं। सीरीज खत्म होने से पहले सीज नंबर आवंटित कराया जा सकता है पर नई सीरीज चालू होते ये नंबर सीज हो जाते हैं।
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