Kanpur Kisan : कानपुर की अरहर की एक नई प्रजाति ने किसानों के लिए उम्मीद की किरण पैदा की है। भारतीय दलहन अनुसंधान परिषद (आईआईपीआर) के वैज्ञानिकों ने अरहर की एक विशेष प्रजाति विकसित की है, जिसे आईपीए 15-6 नाम दिया गया है। यह प्रजाति न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए भी लाभकारी साबित होगी।
आईपीए 15-6 प्रजाति की विशेषताएँ
आईपीए 15-6 प्रजाति की पैदावार 25 कुंतल प्रति हेक्टेयर तक होने का अनुमान है, जो सामान्य अरहर की फसलों से कहीं अधिक है। यह फसल केवल 150 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। डॉ. सतीश नायक, आईआईपीआर के वैज्ञानिक, ने बताया कि इस प्रजाति को इस तरह से विकसित किया गया है कि यह किसानों को अधिक उपज प्रदान करेगी और साथ ही कम समय में तैयार होगी, जिससे उनकी आय में भी वृद्धि होगी।
कम सिंचाई में अधिक उपज
आईपीए 15-6 की बुआई पंक्ति में की जानी चाहिए और इसका उचित समय जुलाई के पहले या दूसरे सप्ताह में होता है। इस प्रजाति को सिर्फ दो सिंचाइयों की आवश्यकता होती है, जिससे किसानों को सिंचाई पर खर्च भी कम करना पड़ेगा।
रोग और कीटों से सुरक्षा
अरहर की अधिकांश प्रजातियाँ उकठा और अंगमारी जैसे रोगों से प्रभावित होती हैं, जो फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। लेकिन आईपीए 15-6 इस मामले में विशेष रूप से लाभकारी है, क्योंकि यह दोनों रोगों से मुक्त है। इसके कारण किसानों को फसल के नुकसान का खतरा कम रहेगा, और वे अधिक पैदावार प्राप्त कर सकेंगे।
किसानों की आय में होगी वृद्धि
आईआईपीआर के निदेशक डॉ. जीपी दीक्षित ने कहा कि वैज्ञानिकों की टीम लगातार नई तकनीकों पर शोध कर रही है, ताकि किसानों को अधिक उपज और बेहतर फसल मिल सके। आईपीए 15-6 प्रजाति न केवल किसानों की आय बढ़ाएगी, बल्कि यह रोगमुक्त दाल का उत्पादन भी करेगी, जो बाजार में अधिक कीमत पर बिकेगी।
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किसानों के लिए उज्जवल भविष्य
इस नई प्रजाति की सफलता से पूरे सेंट्रल जोन के किसानों को विशेष लाभ होगा। यह प्रजाति उन्हें कम मेहनत और खर्च में अधिक फसल देने में मदद करेगी, और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार लाएगी। आईपीए 15-6 की विशेषताएँ और इसके फायदे बताते हैं कि यह प्रजाति भारतीय कृषि के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।