Kanpur Water Crisis : अभी तो अप्रैल ही खत्म होने को है और कानपुर में गंगा का सिटी साइड वाला भाग पूरी तरह से सूखने के कगार पर पहुंच गया है। गंगा की धारा सिमट रही है और कानपुर के हर गंगा घाट से रेत का अंबार ही अंबार चारों ओर दिखाई दे रहा है।
वहीं, जो गंगा की अविरलता और निर्मलता के ठोस दावे अधिकारी करते हैं, वह भी पूरी तरह से फेल हैं। हकीकत यह है कि गंगा में कानपुर के छह नालों का पानी सीधे तौर पर गिर रहा है, जो गंगा के आंचल को मैला कर रहा है। गंगा सूख रही है, इससे शहर में कभी भी जलसंकट की स्थिति हो सकती है।
कानपुर में गंगा से जुड़े कुछ आंकड़े (Kanpur Water Crisis)
- मौजूदा समय में गंगा का जलस्तर 357 फुट
- साल 2023 में 29 अप्रैल को गंगा का जलस्तर था 356.5 फुट
- कुल पानी की शहर में सप्लाई होती है रोजाना 550 एमएलडी
- भैरोघाट पंपिंग स्टेशन से जलकल को रॉ वाटर मिलता है 200 एमएलडी
- रोजाना सिटी साइड एरिया में पानी की सप्लाई हो पा रही है 180 एमएलडी
- गंगा को अविरल बनाने के लिए सीसामऊ नाला टैप करने में खर्च हुए 80 करोड़ रुपये
- पनकी स्थित एसटीपी निर्माण पर कुल खर्च होगा 255 करोड़ रुपये
- डिस्ट्रिक्ट वन प्रोजेक्ट के तहत सीवर लाइन बिछाने में खर्च होगा 318 करोड़ रुपये
प्रतिदिन पानी की जरूरत और होने वाली सप्लाई
इस पूरे मामले पर जीएम जलकल आनंद दुबे ने बताया कि रोजाना कानपुर में 550 एमएलडी पानी की सप्लाई होती है। हालांकि, अभी हम भैरोघाट पंपिंग स्टेशन से 200 एमएलडी पानी (रॉ वाटर) ले रहे हैं, जिसमें कुछ दिक्कतें आ रही हैं। इसके लिए हमने गंगा की बीच धारा में ड्रेजिंग का काम (गंगा में बालू निकालकर गड्ढे बनाना, जिससे जलस्तर बढ़े) शुरू करा दिया है।
इसके अलावा 20 मीटर तक बंधा भी बनाया गया है। 50 एमएलडी पानी अर्मापुर स्थित लोअर गंगा कैनाल से मिल रहा है। इसके अलावा बैराज पर दो प्लांट हैं, जिनसे पानी लेने में कोई समस्या नहीं है। अब, शहर के सभी वाशिंग सेंटर संचालकों को हम नोटिस भेजेंगे। साथ ही लोगों से अपील है कि गर्मी को देखते हुए पानी का उपयोग कम से कम करें।
₹138 करोड़ से 6 नालों को टैप किया जाना
एक ओर जहां यह कहा जाता है कि गंगा पूरी तरह से निर्मल हो गई हैं। यह बात कानपुर में पूरी तरह से झूठी है। दरअसल जल निगम द्वारा 138 करोड़ रुपये से छह नालों को टैप किया जाना है। जल निगम के प्रोजेक्ट मैनेजर ज्ञानेंद्र चौधरी ने बताया, कि इस काम में 138 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसकी पूरी फाइल नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) के कार्यालय में रखी है, अभी तक एप्रूवल नहीं मिला है।