मोहसिन खान
अलीगढ़ः यूपी की 9 सीटों पर हो रहे उपचुनावों में खासतौर से भाजपा और सपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है, जबकि अपनी खोई हुई सियासी ज़मीन को तलाशने के लिए बहुजन समाज पार्टी भी ज़ोर आज़माईश कर रही है। इस सबके बीच हम ग्राउंड ज़ीरों से लगातार जनता का मिजाज़ आप तक पहुंचा रहे है। अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट पर कौन सियासी सैर करने वाला है, इसको लेकर खैर की जनता अपना मन बना चुकी है और उनको दिलेर में दम भी दिखाई देने लगा है। बता दें कि भारतीय जनता पार्टी ने यहां से पूर्व सांसद स्व. रामबीर सिंह दिलेर के बेटे सुरेन्द्र दिलेर को अपना प्रत्याशी बनाया है, जबकि सपा-कांग्रेस गठबंधन से राजनीतिक घराने से आने वाली डा. चारू कैन चुनावी मैदान में है।
जाट बाहुल्य इलाके में सुरक्षित सीट पर किसका प्रभाव
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आपको बताते चले कि अलीगढ़ ज़िले की खैर विधानसभा सीट पर तकरीबन सवा लाख के आसपास जाट वोटर है और फिर उसके बाद ब्राह्रमण वोटर्स आते है, जबकि मुस्लिम मतदाताओं का इस सीट पर कोई खास असर नहीं है, दावें कोई कितना भी क्यों ना कर लें, लेकिन खैर में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 30 हज़ार के आसपास है। यानि खैर विधानसभा में जाट-ब्राहमण और दलित वोटर्स निर्णायक भूमिका में रहते है, अब चूंकि 2017 और 2022 विधानसभा चुनाव के नतीजों को देखते है तो उसमें साफ़ है कि जाट मतदाता बीजेपी के साथ रहा, और अब उपचुनाव में जो स्थिति बन रही है उसमें 70-30 का मसला बन रहा है, यानि की 70 फीसदी जाट वोट बैंक भाजपा के साथ जा रहा है और तकरीबन 30 फीसदी जाट वोट सपा प्रत्याशी डा. चारू कैन के साथ भी नज़र आ रहा है, दरअसल उसकी बड़ी वजह ये है कि डा. चारू कैन के ससुर तेजपाल सिंह गुड्डू जाट बिरादरी से आते है, वो जिला पंचायत अध्यक्ष है और खैर में राजनीति में अच्छी खासी दखल रखते है, लेकिन फिलहाल वो पूर्व विधायक मलखान सिंह की हत्या के आरोप में जेल में बंद है।
‘ना बटेंगे-ना कटेंगे’ एक रहेंगे-नेक रहेंगे, सब एक है-सब हिन्दू है
खैर विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में सीएम योगी आदित्यनाथ का कटोगे तो बटोगे और एक रहोगे तो नेक रहोगे का नारा भी खूब काम कर रहा है, चर्चा के दौरान ये बात निकल सामने आई कि यूपी की बेहतरीन कानून व्यवस्था और विकास की योजनाओं के बीच बटने और कटने का सवाल ही पैदा नहीं होता, क्योंकि हम सब एक है और हम सब हिन्दू है। खैर की जनता ने दावा किया कि जाट और जाटव वोटों में थोड़ा बिखराव हो सकता है।
लेकिन इन सबके बावजूद एक बड़ा तबका बीजेपी के सुरेन्द्र दिलेर के साथ चल रहा है। हालाकि कुछ लोग चुनाव के विरोध में भी है और उसकी बड़ी वजह है खाद्य की डीएपी, जिसको लेकर किसान गुस्से में है और उनमें से कुछ का ये भी मानना है कि डीएपी ना होने की वजह से वो वोट ही नहीं करेंगे, युवा किसानों ने तो यहां तक कह दिया कि जो किसान की बात करेगा, वो उसकी बात करेंगे।