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Tuesday, October 22, 2024
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The Mid Post- हाल-ए-उपचुनावः- खैर में होगा मुकाबला दिलचस्प, बीजेपी की दांव पर प्रतिष्ठा

मोहसिन खान

यूपी: अलीगढ़ में उपचुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है, फिलहाल मिल्कीपुर में चुनाव टला है जबकि बाकी 9 सीटों पर राजनीतिक दलों ने अपना दमखम लगाना शुरू कर दिया है। ‘दा मिड पोस्ट’ हर रोज अपने पाठकों को उपचुनाव वाली सीटों का हाल बताएगा और साथ ही साथ हम आपको ये भी बताएंगे कि उपचुनाव में किस सीट पर किसका पलड़ा फिलहाल भारी नज़र आ रहा है तो आज हम ‘हाल-ए-चुनाव’ की पहली सीरिज़ में बात करेंगे अलीगढ़ ज़िले की खैर विधानसभा सीट की।

नहीं खोले अभी बीजेपी और सपा ने पत्ते

2017 के विधानसभा चुनाव से भाजपा (Bharatiya Janata Party) के खाते में रही खैर विधानसभा सीट (Assembly Seat) पर जाहिर तौर पर बीजेपी अपने प्रदर्शन को बरकरार रखना चाहेगी, जबकि विपक्षी दल उसके किले को भेदना चाहेंगे और शायद यही वजह है कि अभी तक ना तो बीजेपी ने और ना ही सपा ने खैर विधानसभा सीट पर अपने पत्ते खोले है। दरअसल सुरक्षित सीट होने की वजह से चुनाव काफी दिलचस्प माना जा रहा है और बीजेपी की ओर से दावेदारों की लिस्ट में पहला नाम पूर्व सांसद राजवीर दिलेर के बेटे सुरेन्द्र दिलेर का चल रहा है, उसके पीछे वजह ये है कि 2019 के चुनाव में हाथरस सीट से बड़े अंतर से जीत दर्ज करने वाले राजवीर दिलेर का 24 में टिकट कट गया और इसी सदमें हार्ट अटैक से उनका निधन हो गया, तो माना जा रहा है कि पार्टी उनके बेटे को टिकट देकर सहानुभूति लहर का फायदा उठा सकती है।

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ये रहा अभी तक खैर विधानसभा सीट का इतिहास

1957 में अस्तित्व में आई खैर विधानसभा सीट पर जाटो का दबदबा रहा है, दरअसल पहले टप्पल और अब खैर विधानसभा सीट को जाट मतदाता ज्यादा होने की वजह ये इसको जाटलैंड भी कहा जाता है। साल 2002 में खैर विधानसभा सीट पर चौधराहट पर ब्रेक लगा और उस वक्त में बसपा के सोशल इंजीनियरिंग के बलबूते पर ब्राह्रमण नेता प्रमोद गौड़ ने जीत दर्ज की, लेकिन 2007 में एक बार फिर से रालोद के टिकट पर चौधरी सत्यपाल सिंह ने जीत का परचम लहराया, लेकिन उसके बाद परिसीमन हुआ और ये सीट एससी वर्ग के लिए सुरक्षित हो गई और 2017 के बाद से इस सीट पर लगातार भाजपा का कब्ज़ा रहा है।

सीट ‘एससी’ और निर्णायक जाट वोटर्स

यूं तो परिसीमन के बाद अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट एससी वर्ग के लिए सुरक्षित कर दी गई, लेकिन बड़ी बात ये है कि सुरक्षित सीट पर निर्णायक भूमिका में जाट वोर्टस है, यानि जाट मतदाता खैर का खैरख्वाह तय करते है। अगर 2022 के विधानसभा चुनाव में कुल मतदाताओं की बात करें तो वो 37,8,196 थे और उनमें 204583 पुरूष मतदाता और 173613 महिला मतदाता थे। जबकि जातीगत आधार पर जाट वोटो की संख्या करीब 1.10 लाख, ब्राह्रमण 50 हज़ार, दलित 40 हज़ार, मुस्लिम 30 हज़ार, वैश्य 25 हज़ार और अन्य भी करीब 25 हज़ार थे। अब चूंकि दो साल पूरे हो चुके है और ऐसे में मतदाता पुनरीक्षण का अभियान भी चला है तो पूरी पूरी संभावना है कि वोटर्स की संख्या में इंज़ाफा हुआ है।

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