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गाय के गोबर से बने दीपक: इस दिवाली महकाएंगे घर, बढ़ाएंगे पर्यावरण की रौनक

Lucknow

Lucknow: लखनऊ की राष्ट्रीय सैनिक छात्र सेवा परिषद, अंकित शुक्ला के नेतृत्व में, इस बार दीपावली पर 51 लाख गाय के गोबर से बने दीपक बेचने का लक्ष्य लेकर आई है। यह पहल सैकड़ों महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही है, जो घर पर ही गाय के गोबर से दीपक, धूपबत्ती, और पूजा की थाली जैसी 25 प्रकार की सामग्री तैयार कर रही हैं। अब तक 1 लाख से अधिक दीपक बिक चुके हैं, और इस पहल से महिलाएं हर माह 3,000 से 10,000 रुपये तक कमा सकती हैं।

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गाय के गोबर से बने इन उत्पादों का खास महत्व है, क्योंकि यह शुद्ध माने जाते हैं और इनका धार्मिक उपयोग लक्ष्मी और गणेश पूजा में किया जाता है। गाय के गोबर से बने दीपक घरों की (Lucknow) नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद हैं। इन दीपकों में तुलसी और अश्वगंधा के बीज मिलाए जाते हैं, जो दीपक जलने के बाद मिट्टी में डालने पर अंकुरित होकर पौधे बन जाते हैं।

महिलाओं के इस प्रयास से न केवल उनके परिवारों को आर्थिक मदद मिल रही है, बल्कि गायों के गोबर का सही उपयोग भी हो रहा है। महिलाओं के छोटे-छोटे समूह अपने घरों में गोबर इकट्ठा कर, विभिन्न आकार और डिज़ाइन के दीपक बना रहे हैं। यह उत्पाद 1 रुपये से लेकर 150 रुपये (Lucknow) तक के मूल्य में बिकते हैं, जिसमें स्वास्तिक, ओम, और लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां भी शामिल हैं।

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अंकित शुक्ला का मानना है कि यह पहल गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने और समाज में गायों को बोझ न समझने का तरीका है। इससे न केवल लोगों को रोजगार मिल रहा है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण के संदेश को भी मजबूत करता है। मिट्टी के दीपकों के विपरीत, ये गोबर से बने दीपक आसानी से गलकर मिट्टी में मिल जाते हैं, जिससे प्रदूषण भी कम होता है।

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