Lucknow News:शहीदों की यादें और उनके बलिदान हमें गर्व से भर देते हैं। लेकिन कभी-कभी उनके परिवारों को असल सम्मान पाने के लिए काफी लंबा संघर्ष करना पड़ता है। ऐसा ही एक दर्दनाक किस्सा है सावित्री सक्सेना का, जो दर-ब-दर भटकी है।
क्या है पूरा मामला ?
विवेक,असम राइफल्स में सहायक कमांडेंट थे और 2003 में मणिपुर में आतंकियों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे। उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था। शौर्य चक्र उनके पिता को राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने दिया था। बेटे के बलिदान के बाद परिवार को गर्व तो था पर जो 10 लाख रुपये की सम्मान राशि मिलनी थी वह उन्हें नहीं मिल पाई।
लगाए खूब चक्कर
इस राशि के लिए विवेक के पिता ने कई बार सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाए। उन्हें निराशा ही हाथ लगी और इसी बीच उनका देहांत हो गया। इसके बाद विवेक की माँ सावित्री सक्सेना ने यह लड़ाई अपने हाथ में ली।
सिस्टम से जूझती रही मां
सुत्रों के मुताबिक विवेक की माँ सावित्री सक्सेना ने यह लड़ाई अपने हाथ में ली। स्थानीय विधायक से लेकर सांसद और फिर मुख्यमंत्री तक से सिफारिश लगाई ताकि अपने मृत बेटे को न्याय मिले। उन्होंने लखनऊ से लेकर दिल्ली तक अधिकारियों और नेताओं से मदद मांगी। कई बार धरने पर भी बैठी और सभी से गुहार लगाई।आखिरकार, 20 साल के संघर्ष के बाद उन्हें वह राशि मिल गई।