Lucknow News: पूर्वाचल और दक्षिणांचल Electricity Distribution Corporation को private हाथों में सौंपने के फैसले के खिलाफ बिजली कर्मचारियों ने आंदोलन तेज कर दिया है। शनिवार को वाराणसी में बिजली पंचायत का आयोजन हुआ जिसमें हजारों कर्मचारी और उपभोक्ता शामिल हुए।
निजीकरण से बढ़ेगी महंगाई
बिजली कर्मचारियों का कहना है कि Privatization होने से बिजली की कीमतें बढ़ जाएंगी। उन्होंने कहा कि अभी यूपी में घरेलू बिजली की दर 6.50 रुपये प्रति यूनिट है लेकिन निजीकरण के बाद यह 10 रुपये या उससे ज्यादा हो सकती है। मुंबई का उदाहरण देते हुए बताया गया कि वहां निजी कंपनियां काम करती हैं और बिजली की दर 17-18 रुपये प्रति यूनिट तक है।
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प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को भेजा प्रस्ताव
बिजली पंचायत में एक प्रस्ताव पारित कर सरकार से Privatization का फैसला वापस लेने की मांग की गई। यह प्रस्ताव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजा गया है।
पुराना वादा तोड़ने का आरोप
कर्मचारियों ने कहा कि 2020 में सरकार ने वादा किया था कि बिना कर्मचारियों की सहमति के बिजली कंपनियों का Privatization नहीं किया जाएगा। यह फैसला उस समय सरकार ने वापस ले लिया था लेकिन अब फिर से Privatization की कोशिश की जा रही है।
साजिश का आरोप
संघर्ष समिति ने कहा कि अरबों रुपये की सरकारी संपत्तियां बहुत सस्ते दाम पर निजी कंपनियों को बेची जा रही हैं। कर्मचारियों और उपभोक्ताओं को इससे भारी नुकसान होगा।
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आगरा में होगी अगली पंचायत
कर्मचारियों ने ऐलान किया कि 17 दिसंबर को आगरा में एक और बड़ी बिजली पंचायत होगी। अगर सरकार ने निजीकरण का फैसला वापस नहीं लिया तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।