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तेल अवीव पर हमला, बाराबंकी तक पहुंची गूंज, मजदूरों ने बंकरों में छुपकर बचाई जान

Barabanki

Barabanki: 1 अक्टूबर की रात, जब ईरान ने इज़राइल पर कई मिसाइलें दागीं, तो इसका असर सिर्फ मध्य पूर्व तक सीमित नहीं रहा। भारत के उत्तर प्रदेश स्थित बाराबंकी जिले के परिवारों में भी इस हमले की गूंज सुनाई दी। बाराबंकी के सालेहनगर और आसपास के इलाके के कई लोग रोज़गार की तलाश में इज़राइल में काम कर रहे हैं, और इस हमले के बाद उनके परिवारजनों में चिंता की लहर दौड़ गई। तेल अवीव में हुए इस हमले के बाद से बाराबंकी के लोगों ने अपने प्रियजनों की सुरक्षा के लिए चिंतित होकर दिन-रात फोन और वीडियो कॉल के जरिए हालात का जायजा लिया। इस चिंता ने पूरे जिले में एक गंभीर माहौल बना दिया है, जहां लोग अपनों की सलामती की दुआ कर रहे हैं।

इज़राइल में काम कर रहे बाराबंकी के लोग

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बाराबंकी के देवा थाना क्षेत्र के सालेहनगर में रहने वाले जितेंद्र, रंजीत, और अखिलेश जैसे कई लोग इज़राइल में विभिन्न कंपनियों में काम कर रहे हैं। पिछले कुछ हफ्तों से इज़राइल पर होने वाले हमलों ने वहां रह रहे भारतीय मजदूरों के जीवन को खतरे में डाल दिया है। सायरन की गूंज सुनते ही ये लोग तुरंत अपने नजदीकी बंकरों में छिप जाते हैं। वीडियो कॉल के जरिए बाराबंकी के इन लोगों ने अपने परिवार वालों को बताया कि वे बंकरों में छिपकर खुद को बचा रहे हैं। मिसाइल हमलों की धमाके सुनकर उनका दिल बैठ जाता है, और हर सायरन बजने पर वे बंकरों में शरण लेने को मजबूर होते हैं।

परिवारों में लगातार बढ़ रही है चिंता

इज़राइल में काम कर रहे लोगों के परिवार वालों की चिंता दिनोंदिन बढ़ रही है। सालेहनगर के निवासी जितेंद्र के पिता ने बताया, “रोज़ाना जब वीडियो कॉल पर बात होती है तो वह कहता है कि हालात ठीक नहीं हैं, लेकिन वह सुरक्षित है। हर बार की तरह, इस बार भी वह बंकरों में सुरक्षित है, परंतु हमारी चिंता कम नहीं होती।” अखिलेश के परिवार वालों ने कहा कि वह लगातार उन्हें हालात के बारे में जानकारी देते रहते हैं, जिससे उन्हें थोड़ी राहत मिलती है, लेकिन उनका दिल हर वक्त डर से भरा रहता है।

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काम जारी लेकिन डर हर समय हावी

हालांकि, इज़राइल में काम कर रहे भारतीय मजदूर अपने कार्यस्थलों पर बने हुए हैं और काम भी कर रहे हैं, लेकिन हर वक्त अलर्ट रहना पड़ता है। इन मजदूरों का कहना है कि वे जहां काम कर रहे हैं, वह इलाका अभी तक सुरक्षित है, लेकिन हर वक्त हमले का डर बना रहता है। दिन के कई हिस्सों में सायरन बजते हैं, और फिर वे बंकरों में जाकर कुछ समय के लिए छिप जाते हैं। इस तरह की स्थिति ने परिवार वालों को मानसिक रूप से परेशान कर रखा है।

क्या होगा आगे?

ईरान और इज़राइल के बीच लगातार बढ़ते तनाव से इन लोगों का भविष्य अनिश्चित हो गया है। बाराबंकी के परिवारजन लगातार ईश्वर से दुआ कर रहे हैं कि उनके प्रियजन सुरक्षित रहें और हालात जल्द से जल्द सामान्य हों।

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