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U.P की कमान योगी के हाथ, स्थाई डीजीपी के बिना भी यूपी में ‘बेहतरीन’ कानून व्यवस्था

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मोहसिन खान

लखनउ: यूपी सहित कई राज्यों में एक बार फिर से पूर्णकालिक डीजीपी के मुद्दें को हवा मिल गई है, दरअसल सुप्रीम कोर्ट में पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह की दाखिल याचिका पर दिशा-निर्देश जारी करते हुए उन राज्यों से जवाब मांगा है, जहां पर स्थाई डीजीपी नहीं है और उसमें यूपी भी शामिल है। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा है कि राज्यों में डीजीपी की नियुक्ति यूपीएससी के माध्यम से होनी चाहिए, जिसमें आयोग तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम के पैनल को राज्य को भेजेगा और उसमें से किसी एक नाम पर मुहर लगेगी। बात अगर उत्तर प्रदेश की करें तो मई 2022 के बाद से अब तक 4 कार्यवाहक डीजीपी ही मिले है, जिसमें मई 2022 में डीएस चौहान कार्यवाहक डीजीपी रहे, उसके बाद आरके विश्वकर्मा, उनके रिटायर होने के बाद विजय कुमार और अब वर्तमान में सीएम योगी आदित्यनाथ के सबसे भरोसेमंद आईपीएस अधिकारी प्रशांत कुमार यूपी के कार्यवाहक डीजीपी है।

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सीएम योगी के हाथ कानून व्यवस्था की कमान

यूपी में भले ही स्थाई डीजीपी ना हो, लेकिन बावजूद इसके उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था ना केवल बेहतरीन चल रही है बल्कि देश के दूसरें राज्यों के लिए भी एक मॉडल के रूप में स्थापित हो चुकी है, इतना ही नहीं यूपी की कानून व्यवस्था के मॉडल को भाजपा शासित राज्य तेज़ी से अपना रहे है। दरअसल सबसे बड़ी वजह ये है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ छोटी से छोटी घटना पर ना केवल खुद से संज्ञान लेते है बल्कि संबधित ज़िले के पुलिस अधिकारियों को दिशा-निर्देश भी देते है। सीएम योगी माफियाओं और कुख्यात अपराधियों के खिलाफ़ बुल्डोजर एक्शन से लेकर एनकाउंटर तक का आदेश खुद ही देते है, यानि एक तरह से सीएम योगी ने कानून व्यवस्था की बागडोर को अपने हाथ में ले रखा है, क्योंकि यूपी की कानून व्यवस्था सीएम योगी की पहली प्राथमिकता है और यही वजह है कि 2017 में उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार आने के बाद भयमुक्त और अपराध मुक्त उत्तर प्रदेश बना।

‘योगीराज’ में मिट्टी में मिल गए माफिया, जान की भीख मांग रहे पेशेवर अपराधी

2017 में यूपी के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले योगी आदित्यनाथ ने कानून व्यवस्था को पहली प्राथमिकता पर रखा और माफियाओं को रडार पर ले लिया और फिर उसके बाद माफियाओं और कुख्यात अपराधियों के खिलाफ़ योगी पुलिस ने सख्त कार्रवाई का ऐसा चाबुक चलाया कि माफियाओं को मिट्टी मिला दिया। जो पुलिस कभी माफियाओं को सैल्यूट करती थी वही पुलिस माफियाओं और अपराधियों पर टूट पड़ी, यूपी के बड़े माफियाओं का खात्मा हुआ और अकूत संपत्ति पर बाबा का बुल्डोज़र गरज गया।

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