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Monday, January 27, 2025
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Maha Kumbh 2025: स्वामी प्रवक्ता नंद बने महामंडलेश्वर, जानें उनकी राजनीतिक यात्रा

Maha Kumbh 2025: महाकुंभ 2025 के पावन अवसर पर उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के बरखेड़ा विधानसभा सीट से भाजपा विधायक स्वामी प्रवक्ता नंद को निर्मल अखाड़े के महामंडलेश्वर का प्रतिष्ठित पद प्रदान किया गया। पट्टाभिषेक समारोह धार्मिक विधियों और परंपराओं के साथ संपन्न हुआ। इससे पहले उन्होंने पिंडदान किया। स्वामी प्रवक्ता नंद वर्तमान में खमरिया स्थित अक्रिय धाम के पीठाधीश्वर के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने 2003 में गुरु स्वामी अलख आनंद से दीक्षा ली और अपने धर्म और समाजसेवा के कार्यों से पहचान बनाई।

राजनीति में शुरुआत और शुरुआती संघर्ष

स्वामी प्रवक्ता नंद का जन्म पीलीभीत के रतनपुरी गांव में हुआ। 2012 में उन्होंने भाजपा के टिकट पर पहला विधानसभा चुनाव लड़ा। हालांकि, सपा प्रत्याशी हेमराज वर्मा से 32,000 वोटों से हारने के कारण वे अपनी पहचान स्थापित नहीं कर सके। 2017 में भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया, जिससे निराश होकर वे आरएलडी में शामिल हुए। आरएलडी के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन हार का सामना करना पड़ा।

Maha Kumbh 2025

पार्टी बदलने का सफर

राजनीतिक असफलताओं के बाद स्वामी प्रवक्ता नंद ने कुछ समय (Maha Kumbh 2025) राजनीति से दूरी बनाए रखी। फिर उन्होंने भाजपा में वापसी कर जिला पंचायत सदस्य का पद हासिल किया। इस दौरान उन्होंने सपा का समर्थन भी किया, लेकिन भाजपा नेताओं के समझाने पर वे फिर से पार्टी में लौट आए।

2022 में मिली बड़ी जीत

भाजपा में वापसी के बाद स्वामी प्रवक्ता नंद को 2022 के विधानसभा चुनाव में बरखेड़ा सीट से टिकट मिला। इस बार उन्होंने सपा प्रत्याशी हेमराज वर्मा को 81,199 वोटों के बड़े अंतर से हराया। इस जीत ने मंडल में उनकी मजबूत पहचान स्थापित कर दी।

महामंडलेश्वर की नई जिम्मेदारी

स्वामी प्रवक्ता नंद का धार्मिक और सामाजिक जीवन (Maha Kumbh 2025) राजनीति के समान ही सक्रिय रहा है। खमरिया स्थित अक्रिय धाम के पीठाधीश्वर के रूप में उन्होंने समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए काम किया। अब निर्मल अखाड़े के महामंडलेश्वर बनने के बाद वे धर्म और समाजसेवा में अपनी भूमिका को और प्रभावशाली तरीके से निभा सकेंगे।

स्वामी प्रवक्ता नंद की यह यात्रा उनके धर्म, समाज और राजनीति के प्रति गहरी निष्ठा को दर्शाती है। महामंडलेश्वर के रूप में उनका यह नया दायित्व न केवल उनके जीवन को नया आयाम देगा, बल्कि समाज पर भी सकारात्मक प्रभाव डालेगा।

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