Mahakumbh Beggars: प्रयागराज महाकुंभ में इस बार भिखारियों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि देखी जा रही है। पुलिस के अनुसार, मेला शुरू होने से पहले करीब 7 हजार भिखारी थे, जो अब बढ़कर 50 हजार हो गए हैं। इनमें से अधिकतर भिखारी प्रयागराज और उसके आसपास के जिलों से हैं, जबकि बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश से भी लोग यहां भीख मांगने आते हैं। इन भिखारियों की बढ़ती संख्या ने प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती उत्पन्न की है।
इन भिखारियों ने अपनी जगहों को निर्धारित कर लिया है, जहां वे रोजाना भीख मांगते हैं। संगम घाट, हनुमान मंदिर और अक्षय वट जैसे प्रमुख स्थानों पर इनकी लंबी कतारें देखी जा सकती हैं। इनमें महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शामिल होते हैं, जो खुद को गंभीर घावों से ग्रस्त दिखाते हैं। इन घावों को बनाने के लिए भिखारी जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल करते हैं, ताकि घाव ताजे और दर्दनाक दिखें। इसके अलावा, इन घावों को छिपाने के लिए सुलेशन और दर्दनिवारक बाम भी लगाया जाता है, जिससे मक्खियां घाव पर नहीं बैठतीं।
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Mahakumbh में इन भिखारियों की मांग इतनी प्रभावी होती है कि श्रद्धालु उन्हें देखकर बिना सोचे-समझे दान दे देते हैं। हालांकि, जब कुछ पत्रकारों ने इन भिखारियों से बात करने की कोशिश की, तो उन्होंने अपनी स्थिति को छिपाने की पूरी कोशिश की। कुछ ने यह स्वीकार किया कि उनके घाव असली नहीं होते और वे सिर्फ भीख मांगने के लिए यह तरीका अपनाते हैं।
Mahakumbh प्रशासन ने भिखारियों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है। मेला प्राधिकरण के अनुसार, भिखारियों की पहचान और जांच के लिए 5 टीमों का गठन किया गया है। इन टीमों द्वारा भिखारियों को नैनी के वृद्धाश्रम में भेजकर उनके बारे में जानकारी ली जाती है, लेकिन अधिकांश भिखारी फिर से महाकुंभ क्षेत्र में लौट आते हैं।
महाकुंभ का दान और श्रद्धा का महत्व पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है, और इसी कारण बड़ी संख्या में भिखारी इस आयोजन में हिस्सा लेने के लिए पहुंचते हैं।