Mallikarjun Kharge apology: संसद के बजट सत्र में मल्लिकार्जुन खरगे के बयान ने जोरदार हंगामा खड़ा कर दिया। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष खरगे और उपसभापति हरिवंश के बीच तीखी बहस हुई, जिसमें खरगे ने सरकार पर तानाशाही (डिक्टेटरशिप) का आरोप लगाते हुए कहा, “डिक्टेटरशिप हो गया है, हम ठोकेंगे…”। यह बयान सत्ता पक्ष के सांसदों को नाराज करने के लिए काफी था और सदन में हंगामा शुरू हो गया।
विवाद तब शुरू हुआ जब खरगे किसी मुद्दे पर अपनी बात रखने की कोशिश कर रहे थे। उपसभापति हरिवंश ने उन्हें रोकते हुए कहा कि वह पहले ही सुबह एक बार बोल चुके हैं और अब दिग्विजय सिंह को मौका दिया जाना चाहिए। इस पर खरगे भड़क उठे और अपनी सीट से खड़े होकर डिक्टेटरशिप का आरोप लगाने लगे। उन्होंने कहा कि वह पूरी तैयारी के साथ अपनी बात रखने आए हैं और जो कहना है वह कहकर रहेंगे।
जेपी नड्डा की प्रतिक्रिया
खरगे के बयान के बाद सत्ता पक्ष के सांसदों ने जोरदार विरोध दर्ज कराया। राज्यसभा में नेता सदन और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने खरगे की भाषा की निंदा की। उन्होंने कहा कि खरगे जैसे वरिष्ठ और अनुभवी नेता से ऐसी भाषा की उम्मीद नहीं की जा सकती। नड्डा ने कहा कि यह बयान न सिर्फ अस्वीकार्य है बल्कि संसदीय मर्यादा के भी खिलाफ है। उन्होंने जोर देकर कहा कि खरगे को चेयर और सदन से माफी मांगनी चाहिए।
खरगे की माफी और सफाई
सत्ता पक्ष के बढ़ते विरोध को देखते हुए मल्लिकार्जुन खरगे ने हाथ जोड़कर सफाई दी और कहा कि उनका इरादा उपसभापति को ठोकने का नहीं था, बल्कि उनकी बात सरकार के खिलाफ थी। हालांकि, उन्होंने उपसभापति से माफी मांगी लेकिन सरकार से माफी मांगने से इनकार कर दिया।
राजनीतिक बवाल जारी
खरगे के माफी मांगने के बाद भी मामला शांत नहीं हुआ। भाजपा सांसदों ने उनके बयान को कार्यवाही से हटाने की मांग की। वहीं, विपक्ष ने इसे सरकार की तानाशाही करार देते हुए खरगे का समर्थन किया।
इस घटना के बाद संसद का माहौल तनावपूर्ण हो गया है और दोनों पक्षों के बीच बयानबाजी तेज हो गई है।