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Thursday, November 21, 2024
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माया फेरेगी अखिलेश के मंसूबों पर पानी! चार सीटों पर लिखी ये कहानी

मोहसिन खान

नोएडा: यूपी विधानसभा उपचुनाव की रणभेरी बज चुकी है और प्रत्याशी चुनावी मैदान में भी आ चुके है, इसके साथ ही राजनीतिक दलों ने उपचुनाव में जीत को सुनिश्चित करने के लिए अपने अपने राजनीतिक समीकरणों को साधना शुरू कर दिया है। लेकिन इन सबके बीच 9 में से 4 सीटें ऐसी है, जहां पर बसपा ने सपा के लिए ना केवल मुसीबत खड़ी कर दी है बल्कि उसके मंसूबों पर पानी फेरने का भी पूरा इंतज़ाम कर लिया है। दरअसल बसपा सुप्रीमों ने बड़ी सूझबूझ के साथ अपने प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा है और जातीय समीकरणों के आधार पर ऐसे उम्मीदवार उतारें है कि अगर उनका भला ना हो सका तो वो भला दूसरें का भी नहीं होने देंगे और उसमें भी सबसे ज्यादा सपा प्रत्याशी है, यानि चार विधानसभा सीटों पर हालात कुछ ऐसे बन रहे है कि ‘हम तो डूबेंगे सनम, तुमको भी ले डूबेंगे’।

4 सीटों पर बसपा बिगाड़ सकती है ‘खेल’

दरअसल बसपा सुप्रीमों मायावती ने उपचुनाव में ऐसा लगता है कि सपा की घेराबंदी करने के लिए 2022 के विधानसभा चुनावों वाला मायावी जाल बिछा दिया है, क्योंकि 22 के विधानसभा चुनाव में बसपा के प्रत्याशियों ने अगर किसी के सबसे ज्यादा नुकसान किया था तो वो समाजवादी पार्टी थी। बसपा ने जातीय समीकरणों को साधा और ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिया, जिन्होंने सपा के वोट बैंक में सेंध लगा दी। अब बात कर लेते है उन 4 विधानसभा सीटों की जहां पर सपा के मंसूबों पर पानी फेरने के लिए बसपा का चक्रव्यूह तैयार है, गाज़ियाबाद सदर, कुंदरकी, कटेहरी और मीरापुर, सबसे पहले बात करते है गाज़ियाबाद सदर सीट की, जहां पर बसपा ने रवि गौतम का टिकट काटकर वैश्य बिरादरी से आने वाले पीएन गर्ग को टिकट दिया, क्योंकि गाज़ियाबाद सदर सीट पर वैश्य और ब्राह्रमण मतदाता एक लाख 40 हज़ार के आसपास है और यहां से पूर्व में वैश्य बिरादरी से बीजेपी के टिकट पर अतुल गर्ग चुनाव जीते थे, ऐसे में बसपा प्रत्याशी वैश्य होने के नाते अपना वोट और बसपा के कैडर दलित वोट में सेंध लगाते है तो फिर सपा के लिए मुश्किलें हो जाएगी।

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जबकि मुस्लिम बाहुल्य सीट कुंदरकी में सपा प्रत्याशी हाजी रिजवान के सामने बसपा ने रफतउल्ला को मैदान में उतारा है, यानि जाहिर है कि भले ही हाजी रिजवान पूर्व में विधायक रहे हो, लेकिन रफतउल्ला की भी समाज में अच्छी उठ बैठ है, जिससे ये माना जा रहा है कि दलित वोटों के अलावा रफतउल्ला मुस्लिम वोटों में सेंधमारी कर सकते है और अगर मुस्लिम मतों में बिखराव हुआ तो फिर कुंदरकी में इतिहास बदल भी सकता है। जबकि कटेहरी में सपा के दलित कार्ड के सामने बसपा ने भी दलित कार्ड खेला है और दलित कार्डो के बीच में जो खेला हुआ है अगर वो खेला मतदान के दौरान वोटों की सेंधमारी के रूप में हो गया तो समझो कि कटेहरी में सपा की काट होने में देर नहीं लगेगी। वहीं जाट, जाटव और मुस्लिम बाहुल्य मीरापुर विधानसभा सीट पर मुकाबला दिलचस्प और कांटे का होने की उम्मीद है, क्योंकि बड़ी बात ये है कि सपा ने पूर्व सांसद कादिर राणा की पुत्रवधु शुम्भुल राणा को चुनावी मैदान में उतारा है, तो बसपा से शाहनज़र है, इसमें अगर आज़ाद समाज पार्टी से मुस्लिम उम्मीदवार को भी शामिल कर लें तो फिर मुस्लिम वोटो को एक जगह रोक पाना बेहद मुश्किल होगा, दरअसल उसके पीछे वजह बड़ी ये होगी कि तीन तीन मुस्लिम प्रत्याशियों को लेकर कन्फयूज मुस्लिम समाज किस ओर जाएगा, ये एक बड़ा सवाल होगा।

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