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Monday, March 3, 2025
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Mayawati Fire Akash Anand: आकाश आनंद बसपा से निष्कासित, पार्टी में उथल-पुथल

Mayawati Fire Akash Anand: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती ने एक बड़ा और चौंकाने वाला फैसला लिया है। उन्होंने अपने भतीजे और बसपा के राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। रविवार, 2 मार्च को लखनऊ में हुई बसपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में यह निर्णय लिया गया। मायावती ने आकाश आनंद को सभी पदों से हटाने के साथ ही पार्टी से पूरी तरह निकाल दिया। इस फैसले ने बसपा के अंदर उथल-पुथल मचा दी है। मायावती ने इस कदम के पीछे आकाश आनंद के ससुर अशोक सिद्धार्थ को जिम्मेदार ठहराया, जिन्हें पहले ही पार्टी से निकाला जा चुका है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह अपनी आखिरी सांस तक बसपा को मजबूत करने के लिए काम करेंगी और उनके जीते जी कोई उत्तराधिकारी नहीं होगा।

पार्टी में गुटबाजी बनी निष्कासन की वजह

रविवार को हुई बसपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में आकाश आनंद की अनुपस्थिति ने पहले ही संकेत दे दिया था कि कुछ बड़ा होने वाला है। सूत्रों के अनुसार, मायावती ने बैठक में कहा कि आकाश आनंद पार्टी के मूल सिद्धांतों से भटक गए थे और इसमें उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ की अहम भूमिका थी। उन्होंने आरोप लगाया कि अशोक सिद्धार्थ ने पार्टी के अंदर गुटबाजी करने और धन उगाही में लिप्त रहने की कोशिश की थी, जिससे बसपा की छवि धूमिल हो रही थी। इसी कारण पहले अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से बाहर किया गया और अब आकाश आनंद को भी निष्कासित कर दिया गया।

पार्टी में नए नेतृत्व की जिम्मेदारी

Mayawati ने इस फैसले के साथ ही संगठन में नए बदलाव किए हैं। उन्होंने आकाश आनंद के पिता आनंद कुमार और राज्यसभा सांसद रामजी गौतम को बसपा का नेशनल को-ऑर्डिनेटर नियुक्त किया है। इससे साफ है कि मायावती अब पार्टी को अपने ही तरीके से आगे ले जाने की रणनीति पर काम कर रही हैं। इसके अलावा, उन्होंने यह भी घोषणा की कि अब उनके परिवार के बच्चे किसी भी राजनीतिक परिवार में शादी नहीं करेंगे, जिससे पार्टी में पारिवारिक प्रभाव को कम किया जा सके।

बसपा के भविष्य को लेकर बढ़ी अनिश्चितता

इस बड़े फैसले के बाद बसपा में उथल-पुथल मची हुई है। पार्टी के कई कार्यकर्ता इस फैसले से हैरान हैं, जबकि कुछ इसे Mayawati के अनुशासनप्रिय रवैये के रूप में देख रहे हैं। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस फैसले से पार्टी के भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं। पिछले कुछ वर्षों में बसपा का वोट प्रतिशत लगातार गिर रहा है। 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी एक भी सीट जीतने में असफल रही थी। ऐसे में यह देखना होगा कि क्या मायावती का यह फैसला बसपा को नई राह पर ले जाएगा या यह पार्टी के अंत की शुरुआत होगी।

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