Report: मोहसिन खान
लखनउ: यूपी के उप चुनाव में अपने खोते जनाधार को वापिस लाने के मकसद से उतरी बहुजन समाज पार्टी पैसे लेकर टिकट देने के आरोपों में घिर गई और टिकट बंटवारें को लेकर फिर से तकरार शुरू हो गई है, हालाकि ये कोई पहला मौका नहीं है कि बसपा सुप्रीमों मायावती पर पैसे लेकर टिकट देने के आरोप लगे हो, इससे पहले भी वो पैसे लेकर टिकट बांटने के आरोपों में घिर चुकी है। अब गाजियाबाद सदर सीट से रवि गौतम का टिकट काटा गया तो उन्होंने पार्टी के नेताओं पर गंभीर आरोप लगा दिए, रवि ने शमसुद्दीन राइन, मुनकाद अली, राज कुमार और रवि जाटव पर पैसों के लिए टॉर्चर करने आरोप लगाया और कहा कि कभी मुकद्मों के नाम पर तो कभी दूसरें कामों के लिए पैसों की डिमांड की गई और पैसा नहीं दिया तो टिकट काट दिया। गाजियाबाद के बाद चर्चा है कि बसपा फूलपुर, मंझवा और कटेहरी विधानसभा सीट पर प्रत्याशियों को बदल सकती है।
क्यों बसपा कर सकती है 3 प्रत्याशियों के साथ खेला!
2010 के बाद उप चुनाव में उतरी बसपा अब गाज़ियाबाद के बाद फूलपुर, मंझवा और कटेहरी विधानसभा सीटों पर भी खेला कर सकती है, चर्चाएं है कि बसपा सुप्रीमों को इन सीटों पर घोषित प्रत्याशी रास नहीं आ रहे है और उनको बदलने की कवायद चल रही है। बड़ी बात निकलकर ये सामने आई है कि पार्टी ‘बेदाग छवि’ के प्रत्याशियों को तलाश रही है, बसपा के पदाधिकारियों का कहना है कि प्रत्याशियों ने आलाकमान को सही से जानकारी नहीं दी, प्रत्याशियों के उपर किसी ना किसी मामले में मुकद्में दर्ज है, इसलिए बेदाग छवि वाले उम्मीदवारों के लिए गुंजाइश तलाशी जा रही है। बता दें कि बसपा ने फूलपुर से शिवबरन पासी, मंझवा से दीपू तिवारी और कटेहरी से अमित वर्मा को प्रत्याशी घोषित किया था और अब इनको बदलने की चर्चाएं ज़ोर पकड़ रही है जबकि टिकट कटने के डर से घोषित प्रत्याशी पार्टी मुख्यालय की परिक्रमा कर रहे है।
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जनाधार को वापिस पाने को बसपा अपना रही हर हथकंडा
2022 के विधानसभा चुनाव के बाद बसपा की हालत पतली होती चली गई और बचा कुचा जनाधार 2024 के लोकसभा चुनाव में किनारें लग गया, पार्टी का वोट प्रतिशत नीचे आ गया, लिहाज़ा चिंता के समन्दर में डूबी बसपा सुप्रीमों मायावती ने उप चुनाव में उतरने का फैसला किया और अब वो हर वो हथकंडा अपना रही है, जिससे ना केवल खोए जनाधार को वापिस लाया जा सके बल्कि कम से कम कैडर वोट को संभाला जा सके। अब उप चुनाव में घोषित प्रत्याशियों को बदलने के पीछे नया शिगूफा आया है कि बेदाग छवि के उम्मीदवार चुनावी मैदान में होंगे, लेकिन सवाल ये है कि प्रत्याशियों के आवेदन के वक्त स्क्रिनिंग कमेटी ने क्या किया, क्या सही में बेदाग छवि के प्रत्याशियों की तलाश है या फिर मामला कुछ ओर ही है।