Indian pregnant prisoners law: मेरठ में सौरभ राजपूत हत्याकांड ने उस समय नया मोड़ ले लिया जब 7 अप्रैल 2025 को मेडिकल जांच में आरोपी मुस्कान के गर्भवती होने की पुष्टि हुई। मुस्कान, जो अपने प्रेमी साहिल के साथ मिलकर अपने पति सौरभ की निर्मम हत्या के आरोप में मेरठ जिला जेल में बंद है, अब एक और विवाद का केंद्र बन गई है। जेल में 18 दिन से बंद मुस्कान की तबीयत 5 अप्रैल को बिगड़ी, जिसके बाद महिला डॉक्टर कोमल द्वारा की गई जांच में गर्भावस्था का पता चला। पुष्टि के बाद यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या वह जेल में गर्भवती हुई या पहले से थी।
यह मामला अब कानूनी और नैतिक दोनों दृष्टियों से जटिल हो गया है। मुस्कान और साहिल पर आरोप है कि 3 मार्च को उन्होंने सौरभ को नशीला पदार्थ देकर बेहोश किया और चाकू से गोदकर (Indian pregnant prisoners law) उसकी हत्या कर दी। बाद में शव को टुकड़ों में काटकर एक ड्रम में सीमेंट से भर दिया गया। दोनों आरोपी जेल में अलग-अलग बैरकों में बंद हैं और उन्होंने साथ रहने की मांग की थी, जिसे जेल प्रशासन ने नियमों के तहत खारिज कर दिया। लेकिन अब मुस्कान की गर्भावस्था ने जेल प्रशासन को नए सवालों और जिम्मेदारियों के घेरे में ला खड़ा किया है।
भारतीय संविधान और महिला कैदियों के अधिकार
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 हर नागरिक को गरिमा के साथ जीवन जीने का अधिकार देता है, जिसमें महिला कैदियों की स्वास्थ्य और सुरक्षा भी शामिल है। अनुच्छेद 15(3) राज्य को महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष कानून बनाने की अनुमति देता है। इसी के तहत गर्भवती कैदियों को विशेष सुविधा देना अनिवार्य है।
जेल नियम और दिशा-निर्देश
Model Prison Manual, 2016 के अनुसार, गर्भवती महिला कैदियों को अलग वार्ड, संतुलित आहार, नियमित मेडिकल जांच और हल्का कार्य दिया जाना चाहिए। प्रसव के लिए अस्पताल ले जाने की व्यवस्था होनी चाहिए। जन्म के बाद बच्चा 6 साल तक माँ के साथ जेल में रह सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने R.D. Upadhyay बनाम आंध्र प्रदेश राज्य (2006) और राम मूर्ति बनाम राज्य (1994) जैसे मामलों में गर्भवती महिला कैदियों के अधिकारों को स्पष्ट किया है। दिल्ली हाई कोर्ट ने 2018 में कहा कि यदि जरूरत हो तो महिला को जमानत या पैरोल दी जा सकती है।
यदि जेल में हुआ गर्भधारण
यदि यह सिद्ध होता है कि मुस्कान का गर्भधारण जेल में हुआ है, तो यह बेहद गंभीर मामला बन जाता है। यह जेल कर्मियों की लापरवाही या यौन शोषण की ओर इशारा करता है। ऐसे मामलों में IPC की धारा 376 (बलात्कार) और अन्य धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज हो सकता है। जेल (Indian pregnant prisoners law) अधीक्षक को इसकी सूचना महिला आयोग और पुलिस को देनी होती है।
प्रसव और बच्चे की देखभाल
जेल में जन्म लेने वाले बच्चे को छह वर्ष तक माँ के साथ रखने की अनुमति है। इसके बाद यदि कोई अभिभावक उपलब्ध हो, तो उसे सौंपा जाता है, अन्यथा बाल कल्याण समिति उसकी देखभाल करती है। बच्चे के लिए कपड़े, दूध और दवाई की व्यवस्था जेल प्रशासन की जिम्मेदारी होती है।
मुस्कान की गर्भावस्था ने जेल प्रशासन, कानून व्यवस्था और समाज के सामने कई चुनौतीपूर्ण प्रश्न खड़े कर दिए हैं। एक ओर वह हत्या की गंभीर आरोपी है, तो दूसरी ओर एक माँ भी बनने जा रही है। भारतीय कानून इन दोनों पहलुओं को संतुलित करने का प्रयास करता है—जहाँ अपराध के लिए सजा सुनिश्चित हो, वहीं गर्भवती महिला और उसके बच्चे के अधिकारों की भी रक्षा की जाए। यह मामला जेल सुधार और महिला अधिकारों पर व्यापक बहस को जन्म दे सकता है।