Greater Noida : मंगलवार को गौतमबुद्धनगर पुलिस ने एक बड़ी कामयाबी हासिल की है। थाना बिसरख पुलिस ने एक शातिर अभियुक्त को गिरफ्तार किया है, जो लाइफ इंश्योरेंस के नाम पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर साइबर ठगी कर रहा था। पुलिस ने अभियुक्त के पास से साइबर ठगी में इस्तेमाल होने वाले मोबाइल फोन, लैपटॉप, डिजीटल भुगतान के क्यूआर कोड, बायोमेट्रिक मशीन समेत अन्य महत्वपूर्ण सामान बरामद किये है।
गोपनीय सूचना से मिली सफलता
थाना बिसरख पुलिस को गोपनीय जानकारी मिली थी कि अमित नामक व्यक्ति, साइबर कैफे की आड़ में एचडीएफसी फाइनेंस बैंक के पॉलिसी धारकों का डाटा डाउनलोड करके फर्जीवाड़ा कर रहा है। यह अभियुक्त पॉलिसी धारकों को कॉल करके उनके पॉलिसी नंबरों के आधार पर उनसे ठगी करता था। फोन कॉल के माध्यम से वह लोगों को पॉलिसी रिन्यूअल या बंद करने का झांसा देकर उनके खातों से अवैध रूप से पैसे ट्रांसफर करवाता था।
थाना बिसरख पुलिस ने आरोपी अमित को गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने अभियुक्त के पास से एचडीएफसी फाइनेंस कंपनी के पॉलिसी होल्डरों का डाटा, मोबाइल फोन, लैपटॉप, बायोमेट्रिक मशीन, क्यूआर कोड, पेन ड्राइव, फर्जी दस्तावेज, आधार कार्ड, पैनकार्ड और अन्य कई महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किये है
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पुलिस की पूछताछ में अभियुक्त ने बताया कि वह एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस के पॉलिसी धारकों का डाटा चोरी करके उनका उपयोग करता था। अमित ने एचडीएफसी लाइफ के 5 साल पुराने पॉलिसी धारकों का डाटा चोरी कर लिया था। यह पॉलिसी धारक ऐसे थे जिनकी पॉलिसी लैप्स हो चुकी थी। अभियुक्त ने इन धारकों को फोन करके उन्हें पॉलिसी रिन्यूअल या बंद करने का झांसा देकर उनसे पैसे वसूल किए थे। अमित ने गूगल से एचडीएफसी लाइफ के कर्मचारियों की आईडी और दस्तावेज डाउनलोड कर लिए थे, जिनका इस्तेमाल वह पॉलिसी धारकों को भ्रमित करने के लिए करता था। अभियुक्त ने ग्राहकों को विश्वास में लेने के लिए खुद को रवि शर्मा के नाम से पेश किया था। वह एचडीएफसी फाइनेंस कंपनी का कर्मचारी बनकर ग्राहकों से फोन-पे और अन्य डिजिटल माध्यमों से पैसे वसूलता था।
19 हज़ार से ज्यादा डाटा किए एकत्र
अभियुक्त ने 19,260 पॉलिसी धारकों का डाटा इकट्ठा किया था, जिनमें से 13,455 से वह संपर्क कर चुका था। इसके अलावा, आरोपी के खाते में कई साइबर शिकायतें दर्ज है, जिसमें वडोदरा, गुजरात की एक साइबर कंप्लेन भी शामिल है। पुलिस अब इस मामले में और भी गहराई से जांच कर रही है कि कितने और लोग इस धोखाधड़ी का शिकार हुए है। इसके साथ ही, यह पता लगाया जा रहा है कि क्या इस योजना में और भी लोग शामिल थे।