Noida Authority : उत्तर प्रदेश शासन ने नोएडा अथॉरिटी द्वारा किए गए ग्रुप हाउसिंग प्लॉट आवंटन की जांच के लिए तीन अलग-अलग समितियां बनाई हैं। यह जांच इस आरोप के आधार पर की जा रही है कि 2008-09 में नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों ने बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए आवंटन के नियमों में बदलाव किया था। इस बदलाव के कारण आर्थिक रूप से कमजोर बिल्डरों को फायदा हुआ और नियमों में ढील दी गई।
जांच समितियों का मुख्य फोकस यह है कि 2008-09 में क्या वास्तव में नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों ने कमजोर आर्थिक स्थिति वाले बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए उनके नेट वर्थ और टर्नओवर को घटा दिया था। इस मुद्दे की गहन जांच की जाएगी ताकि यह साफ हो सके कि क्या नियमों में जानबूझकर बदलाव किया गया था।
तीन समितियों द्वारा 45 दिन में दी जाएगी रिपोर्ट
शासन द्वारा बनाई गई तीन समितियों को इस मामले की पूरी जांच करने के लिए 45 दिनों का समय दिया गया है। इन समितियों की जांच के बाद रिपोर्ट शासन को सौंप दी जाएगी, जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि 2005 से 2017 के बीच के वित्तीय मामलों की जांच भारतीय नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने की थी, जिसमें करीब 30,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के वित्तीय घाटे का खुलासा हुआ था। CAG की रिपोर्ट में यह भी सामने आया था कि नोएडा अथॉरिटी द्वारा किए गए वित्तीय अनुशासन में भारी गड़बड़ी की गई, जो जांच का विषय बनी है।
क्या होगी जांच का असर?
तीन समितियों द्वारा की जा रही जांच के बाद अगर कोई गड़बड़ी सामने आती है, तो इसमें शामिल अधिकारियों और बिल्डरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सकती है। इस मामले की गहन जांच से नोएडा अथॉरिटी के आवंटन प्रथाओं में पारदर्शिता लाने की उम्मीद जताई जा रही है।
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नोएडा अथॉरिटी द्वारा किए गए फैसलों और नियमों में बदलाव के कारण शहर में बिल्डिंग निर्माण और प्लॉट आवंटन में व्याप्त अनियमितताओं को लेकर अब शासन द्वारा कड़ी निगरानी और सुधार की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। तीन जांच समितियों की रिपोर्ट के बाद ही इस मामले में पूरी स्थिति साफ हो सकेगी।