US deportation: अमेरिका से भारतीय प्रवासियों का निर्वासन अवैध प्रवासन के मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण मोड़ ले चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और US राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात के बाद निर्वासन प्रक्रिया में बदलाव किए गए, जिससे प्रभावित परिवारों को कुछ राहत मिली। 15 फरवरी को 119 भारतीय नागरिक, जिनमें महिलाएं और बच्चे शामिल थे, अमृतसर के श्री गुरु राम दास जी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे। यह निर्वासितों का दूसरा जत्था था, जबकि पहले जत्थे में 104 लोग 5 फरवरी को वापस भेजे गए थे। पहले के मुकाबले इस बार कोई भी प्रवासी बंदी नहीं था, जिससे कुछ राहत मिली।
यह निर्वासन डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अवैध प्रवासियों पर की गई कार्रवाई का हिस्सा है, जिसका असर भारत के पंजाब, हरियाणा, गुजरात और अन्य राज्यों से आए प्रवासियों पर पड़ा है। अब तक 300 से अधिक भारतीयों को निर्वासित किया जा चुका है, और तीन बैचों में यह प्रक्रिया जारी है। पहले बैच में 104 लोग, दूसरे में 116 लोग और तीसरे बैच में 112 लोग भारत लौटे हैं। इन निर्वासितों में सबसे अधिक लोग हरियाणा से हैं, उसके बाद गुजरात और पंजाब का नंबर आता है। अधिकांश निर्वासित 18 से 30 वर्ष की आयु के हैं।
पहले US बैच के दौरान कई प्रवासियों ने आरोप लगाया था कि यात्रा के दौरान उनके हाथ और पैर बंधे हुए थे, जिस पर भारतीय विपक्ष ने प्रधानमंत्री मोदी से इस मुद्दे को वाशिंगटन में उठाने की मांग की थी। कांग्रेस पार्टी ने अमेरिकी प्रशासन पर भारतीय नागरिकों के साथ अमानवीय व्यवहार का आरोप लगाया था, और इसे “कचरे से भी बदतर” बताया था।
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पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अमृतसर में अमेरिकी सैन्य विमान के उतरने पर विरोध जताया है। उन्होंने सवाल उठाया कि अन्य देशों के मुकाबले भारत ने क्यों अमेरिकी सैन्य विमान को उतरने की अनुमति दी, जबकि दूसरे देश नागरिक विमान भेजते हैं। पंजाब सरकार ने प्रवासियों के लिए अस्थायी आवास की व्यवस्था की थी और उन्हें उनके घरों तक सुरक्षित पहुंचाने के लिए इंतजाम किए थे।
कई US प्रवासियों ने बेहतर जीवन की आशा में अमेरिका जाने के लिए अपनी ज़मीन और मवेशी गिरवी रखे थे, लेकिन अब उनका सपना टूट चुका है। पंजाब सरकार ने इन परिवारों को सहयोग देने का प्रयास किया है, लेकिन अवैध प्रवासन का मुद्दा दोनों देशों के बीच जारी विवाद का कारण बना हुआ है।