Pilibhit BJP: पीलीभीत में भाजपा में अंदरूनी खींचतान और विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। जिले में पार्टी के पुराने नेताओं और नए चेहरों के बीच जिलाध्यक्ष पद को लेकर गहरी असहमति दिख रही है। खास बात ये है कि 28 नेताओं ने इस पद के लिए आवेदन कर रखा है, जिनमें विभिन्न जातियों और तीन महिलाएं भी शामिल हैं।
भाजपा Pilibhit के पुराने नेता संजीव प्रताप सिंह, जो क्षत्रिय समाज से हैं, अपने दो कार्यकाल पूरे कर चुके हैं, इसलिए इस बार नए चेहरे की तलाश की जा रही है। लेकिन पार्टी के अंदर सवर्ण, पिछड़ा और दलित के बीच नेतृत्व को लेकर तीखी बहस चल रही है।
Pilibhit दलित नेता शरदपाल सिंह ने पार्टी में अनदेखी के आरोप लगाते हुए आत्मदाह की धमकी दे दी थी। उन्होंने कहा कि वे 1988 से पार्टी की सेवा कर रहे हैं, लेकिन उन्हें कभी कोई सम्मानजनक पद नहीं मिला। ये मामला तब शांत हुआ जब वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें प्रमोशन का भरोसा दिया।
पीलीभीत में भाजपा की हालत इसलिए भी नाजुक है क्योंकि जिले में सभी सियासी पदों पर पार्टी का कब्जा है—सांसद, विधायक, जिला पंचायत अध्यक्ष, ब्लॉक प्रमुख, सब भाजपा के पास हैं। फिर भी जिलाध्यक्ष पद को लेकर हो रही तनातनी ने संगठन की स्थिति को कमजोर कर दिया है।
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बरेली मंडल के बाकी तीन जिलों बरेली, शाहजहांपुर और बदायूं में जिलाध्यक्षों का ऐलान हो चुका है, लेकिन Pilibhit में अब तक सहमति न बन पाने की वजह से ये मामला रुका हुआ है। पार्टी के सांसद जितिन प्रसाद और विधायक संजय सिंह गंगवार के बीच मतभेद भी इस स्थिति को और जटिल बना रहे हैं।
अब देखना ये है कि भाजपा हाईकमान पीलीभीत के इस गहराते विवाद को कैसे सुलझाता है और संगठन को फिर से पटरी पर लाता है।