Pune bus incident: पुणे के हिंजवाड़ी इलाके में 19 मार्च 2025 को एक दर्दनाक घटना सामने आई, जिसने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया। व्योमा ग्राफिक्स नामक कंपनी की एक मिनी बस में आग लगने से चार कर्मचारियों की जलकर मौत हो गई और छह अन्य घायल हो गए। शुरुआत में इसे दुर्घटना माना गया, लेकिन पुलिस जांच में पता चला कि यह जानबूझकर की गई साजिश थी।
Pune घटना के आरोपी ड्राइवर का नाम जनार्दन हंबरदेकर है, जो पिछले 12 साल से कंपनी में काम कर रहा था। उसकी शिकायतें सैलरी में कटौती, दिवाली बोनस न मिलने और काम के दौरान बुरे बर्ताव से जुड़ी थीं। जनार्दन ने पुलिस को बताया कि उसे नाश्ता करने तक की इजाजत नहीं दी जाती थी और हमेशा काम के लिए दबाव डाला जाता था। इस सबके कारण वह मानसिक और भावनात्मक रूप से टूट चुका था।
घटना वाले दिन जनार्दन ने अपनी योजना के अनुसार बस में बेंजीन छिड़का और कपड़े का इस्तेमाल कर आग लगा दी। आग लगते ही वह चलती बस से कूद गया। बेकाबू बस करीब 200 मीटर तक चलने के बाद एक पेड़ से टकरा गई। इस हादसे में चार कर्मचारियों – शंकर शिंदे (63), रजन चव्हाण (42), गुरुदास लोखरे (45), और सुभाष भोसले (44) की मौत हो गई।
Pune पुलिस ने जनार्दन को गिरफ्तार कर लिया है और उसके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। यह घटना केवल एक आपराधिक कृत्य नहीं है, बल्कि समाज में बढ़ती आर्थिक असमानता और श्रमिकों के साथ होने वाले बुरे बर्ताव का परिणाम भी है।
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यह Pune घटना उन गहरी सामाजिक समस्याओं की ओर भी इशारा करती है, जहां नियोक्ता अपने कर्मचारियों से ज्यादा काम की उम्मीद रखते हैं, लेकिन उन्हें उचित वेतन और सम्मान नहीं देते। काम के घंटे तय न होना, काम का अत्यधिक बोझ और मानसिक उत्पीड़न जैसी समस्याएं इस तरह की घटनाओं को जन्म दे सकती हैं।
समाज के लिए यह घटना एक चेतावनी है कि कर्मचारियों के साथ सम्मानजनक और न्यायपूर्ण व्यवहार करना न केवल नैतिक जिम्मेदारी है, बल्कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी जरूरी है। इस दर्दनाक घटना से सबक लेना अनिवार्य है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।