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Ramesh Bidhuri controversy: रमेश बिधूड़ी की विवादित टिप्पणी ने दिल्ली चुनावों में छेड़ा नया विवाद

Ramesh Bidhuri

Ramesh Bidhuri controversy: दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए कालकाजी सीट से भाजपा उम्मीदवार रमेश बिधूड़ी ने एक विवादित बयान देकर राजनीतिक पारा चढ़ा दिया है। सार्वजनिक सभा में उन्होंने कहा, “मैं कालकाजी की सड़कों को प्रियंका गांधी के गालों की तरह चिकना बना दूंगा।” उनकी इस टिप्पणी को लैंगिक भेदभावपूर्ण और अपमानजनक करार दिया जा रहा है। कांग्रेस नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसे महिलाओं के प्रति असंवेदनशील मानसिकता का उदाहरण बताया है।

पुराने विवादों से जुड़ी बिधूड़ी की छवि

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Ramesh Bidhuri का विवादों से पुराना नाता है। 2023 में लोकसभा के दौरान उन्होंने सांसद दानिश अली पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जिसके कारण उन्हें माफी मांगनी पड़ी थी। उनकी हालिया टिप्पणी ने उनकी छवि को फिर से सवालों के घेरे में ला दिया है। यह बयान बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के उस विवादित बयान की याद दिलाता है, जिसमें उन्होंने बिहार की सड़कों को “हेमा मालिनी के गालों” जैसा चिकना बनाने की बात कही थी।

कांग्रेस का कड़ा विरोध और सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया

कांग्रेस ने Ramesh Bidhuri की टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया दी। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने वीडियो साझा कर भाजपा पर “महिला विरोधी मानसिकता” का आरोप लगाया। कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने इसे महिलाओं का अपमान बताते हुए भाजपा पर सवाल उठाए कि वह ऐसे उम्मीदवारों को बढ़ावा क्यों देती है। सोशल मीडिया पर इस बयान के खिलाफ गुस्सा साफ दिखा। #BidhuriControversy जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं, जिसमें यूजर्स ने सम्मानजनक राजनीतिक संवाद की मांग की है।

भाजपा की चुप्पी और चुनावी असर

भाजपा ने अब तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि Ramesh Bidhuri की इस टिप्पणी से भाजपा की छवि और महिला मतदाताओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। कालकाजी क्षेत्र में इस घटना से चुनावी गणित भी प्रभावित हो सकता है।

राजनीतिक संवाद में सुधार की जरूरत

यह घटना राजनीतिक पार्टियों के लिए एक सबक है कि उम्मीदवारों को शिष्टता और संवेदनशीलता बनाए रखने का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। ऐसे विवाद न केवल व्यक्तिगत छवि को, बल्कि पार्टी की साख को भी नुकसान पहुंचाते हैं।

जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, यह विवाद राजनीतिक संवाद की गुणवत्ता पर बहस को और गहरा कर रहा है। मतदाताओं के बीच इसका असर भाजपा और अन्य दलों की रणनीतियों पर भी दिख सकता है।

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