(राहुल शर्मा)
Samajwadi Party: समाजवाद के सिद्धांतों पर खड़ी की गई नेताजी मुलायम सिंह यादव की पार्टी का गठन हुआ तो था राजनीति में परिवार वंशवाद जैसी तत्कालीन कुरीतियों से इतर एक नये राजनैतिक मंच के रूप में मगर दशकों बाद भी लाल झंडे वाली ये पार्टी भले ही चुनाव चिन्ह (साईकिल के जरिये खुद को गरीब-किसान-मजदूर की पार्टी होने का दंभ भरे। लेकिन वास्तविकता एकदम अलग है। नेताजी के बाद पार्टी की बागडोर विदेश से पढ़ाई करके आए मुलायम परिवार के युवराज अखिलेश यादव के हाथ में भले ही आ गई, मगर पार्टी से परिवारवाद को तव्ज्जो देने वाली सोच आज तक खत्म नहीं हुई। इसी का नतीजा है कि यूपी की 10 सीटों पर होने वाले उप-चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी की ओर से जारी की गई छह उम्मीदवारों की लिस्ट में 5 नाम ऐसे हैं जो किसी न किसी पार्टी के बड़े चेहरे के परिवार से ताल्लुक रखते हैं। यानि आम कार्यकर्ता की अनदेखी।
झंडा उठाऊ समाजदियों के मन में सवाल
क्या अखिलेश यादव को सिर्फ परिवार पसन्द है ? परिवारों के अलावा उन्हें कुछ और नहीं दिखता ? ये सवाल समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों की लिस्ट से एक बार फिर से खड़ा हो रहा है। इस लिस्ट में गौर करें तो सभी प्रत्याशी किसी ना किसी नेता के परिवार से ताल्लुक रखते हैं। भले ही इन सीटों पर उम्मीदवारों के नाम के ऐलान के बाद भी पार्टी में की विरोधी आवाज बुलंद नहीं हुई है, मगर हर पुराने समाजवादी कार्यकर्ता और टिकट कके अय दवेदारों के जेहन में ये सवाल उठ रहा है कि क्या अखिलेश यादव को पार्टी में दूसरे कार्यकर्ता नहीं दिखते ? जो बरसो से सपा का झंडा कंधे पर लादे-लादे घूम रहे हैं। सवाल ये कि क्या अखिलेश यादव को परिवार से बाहर कोई जमीनी और मजबूत उम्मीदवार दिखाई नहीं देता या उसके बारे में वो सोच ही नहीं पाते?
ये है 6 विधानसभाओं का हाल
1. करहल
करहल सीट पर अखिलेश ने अपने ही परिवार के तेज प्रताप यादव को उतारा है। जबकि यहां पार्टी के पास कई ऐसे स्थानीय नेता हैं जिन्हें न सिर्फ टिकट दिया जा सकता है, बल्कि वो दमदा तरीके से चुनाव लड़ भी सकते हैं और जीत भी सकते हैं।
2. सीसामऊ
सीसामऊ की सीट पर सपा का बड़ा चेहरा इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी को टिकट दिया गया है। यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि इरान सोलंकी के टिकट के दौरान भी अपनी मजबूत दावेदारी पेश करने वाले कई मजबूत सपाईयों की इस बार भी अनदेखी हुई है।
3. मिल्कीपुर
मिल्कीपुर सीट से अयोध्या सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को टिकट मिला है। जबकि यहां भी कई युवा और पुराने समाजवादी भी ऐसे हैं जिनका अनुभव और जनैतिक छवि कई मायनों में अजीत प्रसाद से की बेहतर है।
4. कटेहरी
कटेहरी सीट पर सपा सांसद लालजी वर्मा की पत्नी शोभावती वर्मा को टिकट दिया है। लालजी वर्मा के अलावा कई से नेता हैं जो लगतार पार्टी के लिए दिन-रात संघर्ष करते रहे हैं। लाली वर्मा की वह से उनकी राजनैतिक मह्तवकांक्षाओं प पहले ही से पानी रता रहा है। ऐसे में लालजी वर्माके बेटे को टिकट देकर अखिलेश ने उन्हें मायूस करने का काम किया है।
5. मंझवा
बात मंझवा सीट की करें तो यहां पर सपा ने भदोही के पूर्व सांसद रमेश बिन्द की बेटी डॉ. ज्योति बिन्द को प्रत्याशी बनाया है। इस सीट और इलाके की स्थिति भी कमोवेश पिछली और सीटों जैसी ही है परिवारवाद के पेर में कई पुराने और बेहतर छवि वाले दावेदारों की अनदेखी टिकट इनल करने में की गई है।
6. फूलपुर
एक मात्र फूलपुर की सीट ऐसी है जिसे अपवाद कहा सकता है। यहां तीन बार के विधायक रहे मुस्तफा सिद्दीकी को पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है। लेकिन इस सीट पर भी क पुराने समाजववादी से हैं जो इस इंतजार में हैं कि उन्हें अपनी राजनैतिक महत्वकांक्षा पूरी करने का मौका कब मिलेगा ?
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