Sambhal Violence: संभल में 24 नवंबर को हुए सर्वे के दौरान हुई हिंसा के बाद जिला प्रशासन ने सख्त कदम उठाए हैं। जिले में बाहरी व्यक्तियों की एंट्री 10 दिसंबर तक प्रतिबंधित कर दी गई है। जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेसीया ने स्पष्ट किया है कि किसी भी बाहरी व्यक्ति, सामाजिक संगठन, या जनप्रतिनिधि को सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना जिले में प्रवेश नहीं मिलेगा।
संभल की घटनाओं ने राज्य में राजनीतिक और सांप्रदायिक तनाव बढ़ा दिया है।
क्यों हुई हिंसा
19 नवंबर को कोर्ट के आदेश पर पहली बार जामा मस्जिद का सर्वे किया गया था जिससे इलाके में तनाव की स्थिति बन गई। 24 नवंबर को दोबारा सर्वे के दौरान मस्जिद परिसर में हिंसा भड़क उठी। पत्थरबाजी और झड़प में चार लोगों की मौत हो गई और 25 लोग घायल हुए। याचिका में दावा किया गया है कि जामा मस्जिद की जगह पहले हरिहर मंदिर था।
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SP और Congress ने किया विरोध
हिंसा के बाद Samajwadi Party का प्रतिनिधिमंडल मामले की जांच के लिए संभल जाने का प्रयास कर रहा था लेकिन पुलिस ने नेताओं के आवासों पर तैनाती कर उन्हें रोका। SP ने इसे अलोकतांत्रिक बताते हुए कहा कि ‘ भाजपा सरकार हिंसा के सच को छिपाना चाहती है। सपा ने प्रतिनिधिमंडल को संभल जाने की अनुमति देने की मांग की है।”कांग्रेस ने भी मामले पर सवाल उठाए हैं। प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि “कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल 2 दिसंबर को संभल जाएगा।”
प्रशासन की अपील
जिला प्रशासन ने शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील की है। गृह सचिव और जिला मजिस्ट्रेट ने नेताओं से व्यक्तिगत तौर पर संपर्क कर जिले की सीमा में प्रवेश नहीं करने का अनुरोध किया है।
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