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Saturday, April 12, 2025
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पत्रकार की हत्या का पर्दाफाश: मंदिर के पुजारी ने रची थी साजिश, चार शूटरों को दी थी सुपारी

Sitapur journalist murder: सीतापुर में पत्रकार राघवेंद्र बाजपेई की हत्या के मामले में पुलिस ने 34 दिनों बाद बड़ा खुलासा किया है। 8 मार्च 2025 को दिल्ली-लखनऊ हाइवे पर स्थित हेमपुर ओवरब्रिज के पास राघवेंद्र को गोली मार दी गई थी। अब यह सामने आया है कि इस जघन्य अपराध की साजिश एक मंदिर के पुजारी ने रची थी। हत्या की वजह भी बेहद चौंकाने वाली है—राघवेंद्र ने पुजारी को मंदिर परिसर में एक नाबालिग लड़के के साथ अनुचित हरकत करते हुए पकड़ लिया था और वह इसे उजागर करने की तैयारी कर रहे थे। इसी बात से घबराकर पुजारी ने उनकी हत्या की योजना बनाई।

राघवेंद्र बाजपेई महोली तहसील में दैनिक जागरण के संवाददाता थे और उन्हें एक निडर व ईमानदार पत्रकार के रूप में जाना जाता था। उन्होंने पहले भी धान खरीद घोटाले और जमीन रजिस्ट्री घोटाले जैसे मामलों को उजागर किया था। जब उन्होंने मंदिर में घटित कुकृत्य को सामने लाने की ठानी, तो यह पुजारी के लिए खतरे की घंटी बन गया। खुद को बचाने के लिए पुजारी शिवानंद उर्फ विकास राठौर ने चार शूटरों को सुपारी दी और सुनियोजित तरीके से राघवेंद्र की हत्या करवा दी।

Sitapur पुलिस जांच में पता चला है कि चार शूटरों में से दो की पहचान मिश्रिख के अटवा गांव के निवासी के रूप में हुई है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि राघवेंद्र को चार गोलियां मारी गईं—315 बोर और 311 बोर के हथियारों का इस्तेमाल किया गया था, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि हत्या पेशेवर ढंग से की गई थी। पुलिस ने अब तक पांच आरोपियों की पहचान की है, जिनमें मुख्य साजिशकर्ता पुजारी और उसके दो सहयोगी शामिल हैं, जिन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। दो शूटर अभी भी फरार हैं और उनकी तलाश में Sitapur पुलिस की कई टीमें नोएडा व आसपास के इलाकों में लगातार छापेमारी कर रही हैं। फरार शूटरों पर 25-25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया है।

घटना के बाद Sitapur से लेकर पूरे प्रदेश में पत्रकार समुदाय में गहरा आक्रोश फैल गया। कई जिलों में पत्रकारों ने प्रदर्शन किए और सरकार से मांग की कि हत्यारों को कठोर सजा दी जाए, मृतक पत्रकार के परिवार को मुआवजा और एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए। शुरू में राघवेंद्र के परिजनों ने अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया था, लेकिन प्रशासन के आश्वासन के बाद 9 मार्च को नेमिषारण्य के बरगदिया घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया।

यह मामला न केवल पत्रकारों की सुरक्षा पर सवाल खड़े करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि समाज में कुछ लोग धर्म की आड़ में कितनी घिनौनी साजिश रच सकते हैं। पुलिस का कहना है कि फरार शूटरों की गिरफ्तारी के बाद और भी चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं। जांच अभी भी जारी है और जल्द ही पूरे षड्यंत्र की परतें सामने आने की उम्मीद है।

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