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Sunita Williams की रोमांचक वापसी: ड्रैगन कैप्सूल की सुरक्षित लैंडिंग में कई चुनौतियां

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Sunita Williams

Sunita Williams News: भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विल्मोर का स्पेसएक्स ड्रैगन कैप्सूल जल्द ही धरती पर लौटने वाला है। यह मिशन बेहद चुनौतीपूर्ण और जोखिम भरा है, क्योंकि कई कारक लैंडिंग प्रक्रिया में बाधा बन सकते हैं। अगर सबकुछ योजना के अनुसार रहा तो स्पेसक्राफ्ट बुधवार सुबह 3:30 बजे फ्लोरिडा के तट पर सुरक्षित लैंड करेगा। लेकिन खराब मौसम, पैराशूट के समय पर न खुलने और तकनीकी गड़बड़ियों जैसी समस्याएं इस वापसी को मुश्किल बना सकती हैं।

लैंडिंग की चुनौतियां और रिएंट्री का खतरा

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अंतरिक्ष यान का पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करना सबसे जोखिम भरा चरण माना जाता है। अगर स्पेसक्राफ्ट वायुमंडल में सही एंगल और स्पीड के साथ प्रवेश नहीं करता है, तो यह क्रैश हो सकता है। 2003 में कोलंबिया अंतरिक्ष यान की दुर्घटना इस तरह की त्रुटि का परिणाम थी, जिसमें कल्पना चावला सहित सभी अंतरिक्ष यात्री मारे गए थे।

इस बार, स्पेसएक्स का ड्रैगन कैप्सूल 27,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करेगा। वैज्ञानिक इस प्रक्रिया को पूरी तरह नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं। अगर रिएंट्री का एंगल या गति में ज़रा भी गड़बड़ी हुई तो स्पेसक्राफ्ट या तो धरती से टकराकर बर्बाद हो सकता है या वायुमंडल से वापस स्पेस में चला जा सकता है।

पैराशूट और तकनीकी समस्याएं

लैंडिंग के समय सबसे बड़ी चुनौती पैराशूट का सही समय पर खुलना है। जैसे ही स्पेसक्राफ्ट धरती के करीब पहुंचेगा, पहले 18,000 फीट की ऊँचाई पर दो ड्रैगन पैराशूट खुलेंगे और फिर 6,000 फीट की ऊँचाई पर मेन पैराशूट खुलेंगे। अगर यह प्रक्रिया ठीक से नहीं हुई तो कैप्सूल तेज गति से समुद्र में गिर सकता है, जिससे अंतरिक्ष यात्रियों की जान खतरे में पड़ सकती है।

इसके अलावा, स्पेसक्राफ्ट के थ्रस्टर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये थ्रस्टर स्पेसक्राफ्ट की गति और दिशा को नियंत्रित करते हैं। अगर थ्रस्टर फेल हो गए तो कैप्सूल को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाएगा। खराब मौसम भी लैंडिंग को असफल बना सकता है। इसलिए सभी सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करना बेहद जरूरी है।

अंतरिक्ष यात्रियों की सेहत पर असर

Sunita Williams और बुच विल्मोर का शरीर लंबे समय तक जीरो ग्रैविटी में रहने के कारण कमजोर हो गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार, उनके पैर नवजात शिशु की तरह नरम हो गए हैं, जिससे वे तुरंत चल नहीं पाएंगे। धरती पर लौटने के बाद उनके पैरों की त्वचा को कठोर बनने में हफ्तों या महीनों का समय लग सकता है।

इसके अलावा, मांसपेशियों और हड्डियों का कमजोर होना भी एक बड़ी समस्या है। अंतरिक्ष में हर महीने हड्डियों का घनत्व लगभग एक प्रतिशत कम हो जाता है। इससे उनके शरीर में खून की कमी, दिल और दिमाग में दबाव जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

नया जीवन या नई चुनौती?

अगर यह मिशन सफल रहा तो Sunita Williams और बुच विल्मोर के लिए यह एक नए जीवन की तरह होगा। अंतरिक्ष में 9 महीने 13 दिन बिताने के बाद उनका शरीर पूरी तरह से कमजोर हो चुका है और उसे सामान्य होने में समय लगेगा। उन्हें दोबारा चलना, खड़ा होना और शरीर को संतुलित करना सीखना पड़ेगा।

अंतरिक्ष यात्रियों की यह वापसी विज्ञान और मानव सहनशक्ति के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण अध्याय साबित हो सकती है। स्पेसएक्स और नासा की टीमें इस मिशन की सफलता के लिए पूरी तैयारी कर रही हैं। अगर लैंडिंग सफल होती है तो यह अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि होगी।

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