New Delhi News: सुप्रीम कोर्ट ने दहेज उत्पीड़न कानून (Section 498A of IPC) के दुरुपयोग को लेकर गंभीर चिंता जाहिर की है। अदालत ने कहा कि कानून का गलत इस्तेमाल रोकना जरूरी है ताकि निर्दोष लोगों को परेशान न किया जाए। दहेज उत्पीड़न जैसे गंभीर मामलों में अदालतों को निष्पक्ष रहना और सावधानी बरतना बहुत जरूरी है।
जानें पूरा मामला
यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना हाई कोर्ट के एक फैसले को खारिज करते हुए की। हाई कोर्ट ने एक महिला द्वारा अपने पति और उसके परिवार के खिलाफ लगाए गए दहेज उत्पीड़न के आरोपों को सही ठहराया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर किसी मामले में ठोस सबूत नहीं हैं तो ऐसे आरोपों पर ध्यान नहीं दिया जाना चाहिए।
इंजीनियर की आत्महत्या ने बढ़ाई चिंता
यह मामला तब और गंभीर हो गया जब इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या की खबरे सामने आई। अतुल पर उनकी पत्नी ने कई दहेज उत्पीड़न के केस दर्ज करवाए थे जिससे वह मानसिक दबाव में आ गया था। इस दबाव के चलते उन्होंने अपनी जान दे दी।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वैवाहिक विवादों में कई बार पति के पूरे परिवार को बेवजह फंसा दिया जाता है। ऐसे मामलो में अदालतों को सावधानी से काम करना चाहिए और बिना सबूत के किसी को आरोपी नहीं बनाया जाना चाहिए। अदालत ने कहा, “हम यह नहीं कह रहे हैं कि जिन महिलाओं को वास्तव में उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है, वे शिकायत न करें लेकिन यह भी जरूरी है कि कानून का दुरुपयोग न हो और निर्दोष लोगों को परेशान न किया जाए।”
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कानून का सही उपयोग जरूरी
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि दहेज उत्पीड़न के कानून का मकसद महिलाओं को सुरक्षा देना है लेकिन अगर इसका गलत इस्तेमाल होता है तो इसका असली उद्देश्य खत्म हो जाता है। दहेज उत्पीड़न जैसे गंभीर मामलों में अदालतों को निष्पक्ष रहना और सावधानी बरतना बहुत जरूरी है।