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Thursday, October 17, 2024
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Jayaprakash Narayan: इंदिरा गांधी की सत्ता को हिला देने वाले ‘लोकनायक’ की जयंती, संपूर्ण क्रांति का दिया था नारा

Geeta Tyagi

लोकनायक जयप्रकाश नारायण: एक क्रांतिकारी नेता

Jayaprakash Narayan Jayanti: आज 11 नवंबर को लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती है. जब बात छात्र आंदोलन की हो या बात सियासी गलियारे में सत्ता की हनक मिटाने या संघर्ष की हो तो उदाहरण जेपी का जरुर पेश किया जाता है

जयप्रकाश नारायण

लोकनायक जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर 1902 को बिहार के सिताबदियारा गाँव में हुआ। जेपी का शुरुआती जीवन बहुत साधारण था। उन्होंने पटना में अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की और फिर उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका गए। अमेरिका से लौटने के बाद, 1929 में वे स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ गए और जयप्रकाश नारायण कांग्रेस में शामिल हुए। जेपी का शुरुआती राजनीतिक दृष्टिकोण मार्क्सवादी था, और वे सशस्त्र क्रांति के माध्यम से अंग्रेजों को भगाना चाहते थे।

महात्मा गांधी और नेहरू के संपर्क में बदलाव

जवाहरलाल नेहरू और जयप्रकाश नारायण

महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू से मिलने के बाद उनके विचारों में परिवर्तन आया। गांधीजी की अहिंसात्मक विचारधारा ने जेपी के दृष्टिकोण को बदल दिया, और वे कांग्रेस में सक्रिय रूप से शामिल हो गए। लेकिन आजादी के बाद, वे सत्ता की राजनीति से दूर रहे और आचार्य विनोबा भावे के सर्वोदय आंदोलन में जुट गए। उन्होंने ग्रामीण भारत के विकास के लिए भूदान आंदोलन का समर्थन किया।

Loknayak: इंदिरा गांधी की सत्ता को हिला कर रख दिया, इंदिरा गांधी मांगा से इस्तीफा

इंदिरा गांधी की सत्ता को चुनौती दी, भ्रष्टाचार के खिलाफ संपूर्ण क्रांति का नारा दिया

जयप्रकाश नारायण, जिन्हें ‘लोकनायक’ के नाम से जाना जाता है, ने 1970 के दशक में इंदिरा गांधी की सत्ता को चुनौती दी और देशभर में एक ऐतिहासिक आंदोलन का नेतृत्व किया। 11 अक्टूबर को उनकी जयंती के रूप में मनाया जाता है। जेपी ने 1974 में भ्रष्टाचार के खिलाफ संपूर्ण क्रांति का नारा दिया, जो राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन की मांग थी। उनके नेतृत्व में चला यह आंदोलन इमरजेंसी की घोषणा का कारण बना और अंततः इंदिरा गांधी की सत्ता को हिला कर रख दिया।

जयप्रकाश नारायण: ऐसा नेता जिसके आंदोलन से निकले लालू-मुलायम जैसे दिग्गज,

ऑनलाइन डेस्क, नई दिल्ली। जेपी या लोकनायक के नाम से लोकप्रिय जयप्रकाश नारायण एक भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता, सिद्धांतवादी, समाजवादी और राजनीतिक नेता थे। उन्हें 1970 के दशक के मध्य में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए याद किया जाता है। जेपी आंदोलन से ही लालू प्रसाद यादव, शरद यादव, नीतीश कुमार जैसे नेता निकले।

लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव, नीतीश कुमार

1975 में, जब इंदिरा गांधी पर चुनावों में भ्रष्टाचार के आरोप सही साबित हुए, जेपी ने उनसे इस्तीफा मांगा और उनके खिलाफ संपूर्ण क्रांति का आह्वान किया। उनका आंदोलन भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, और महंगाई के खिलाफ था। यह आंदोलन इंदिरा गांधी सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बना और उन्होंने देश में आपातकाल लागू कर दिया। जेपी को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन उनका संघर्ष जारी रहा।

56 धोतियों का रस्सा बनाकर जेल से फरार हो गए

हजारीबाग जेल

जयप्रकाश नारायण (जेपी) के नेतृत्व में चला आंदोलन इंदिरा गांधी सरकार को सत्ता से बेदखल करने में सफल रहा। आजादी से पहले, 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जेपी को हजारीबाग जेल में बंद कर दिया गया था। अंग्रेजों की आंखों में चुभने वाले जेपी ने 56 धोतियों का रस्सा बनाकर 17 फीट ऊंची दीवार फांदकर पांच साथियों के साथ जेल से फरार हो गए। इस घटना ने उन्हें स्वतंत्रता संग्राम के नायकों में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया। अंग्रेजों ने उन्हें पकड़ने पर 10 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था। जयप्रकाश नारायण जब 56 धोतियों का रस्सा बनाकर जेल से हुए थे फरार, देखते ही गोली मारने का था फरमान जेपी ने आजादी के दिनों में अंग्रेजों के नाकों में दम कर दिया था

सत्ता का मोह त्यागने वाला नेता

स्वतंत्रता के बाद, जवाहरलाल नेहरू चाहते थे कि जेपी कैबिनेट में शामिल हों, लेकिन जेपी ने सत्ता से हमेशा दूरी बनाए रखी। उनका मानना था कि जनता की सेवा राजनीति से परे होनी चाहिए, और उन्होंने अपना जीवन समाज सुधार और ग्रामीण विकास के लिए समर्पित कर दिया।

जब गांधीजी के कदम से आहत हुए थे जेपी: पत्नी का ब्रह्मचर्य

गांधीजी और जयप्रकाश नारायण

1920 में जयप्रकाश नारायण (जेपी) का विवाह प्रभावती देवी से हुआ। बाद में जेपी उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका चले गए, जबकि प्रभावती महात्मा गांधी के साथ जुड़कर स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गईं। गांधीजी के आग्रह पर प्रभावती ने ब्रह्मचर्य का पालन करने का संकल्प लिया, जिसे जानकर जेपी आहत हुए।

गांधीजी ने जेपी को एक पत्र लिखकर बताया कि उनका ध्यान स्वतंत्रता संग्राम पर होना चाहिए। बाद में जेपी ने अपनी गलती समझकर गांधीजी से माफी मांगी। यह घटना जेपी के व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन में त्याग की गहराई को दर्शाती है।

स्वतंत्रता संग्राम में योगदान

वर्ष 1929 कांग्रेस में शामिल होना
1932 में सविनय अवज्ञा आंदोलन:
1932 में द्वितीय विश्व युद्ध और ब्रिटिश विरोध:
कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का गठन:

स्वतंत्रता के बाद की भूमिका

कांग्रेस विरोधी अभियान 1952 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी (PSP) का गठन किया।
दान आंदोलन में भागीदारी।
राजनीतिक पुनर्निर्माण का प्रस्ताव 1959 में “चौखंबा राज” (गाँव, ज़िला, राज्य और संघ परिषदों) की चार-स्तरीय पदानुक्रम की अवधारणा प्रस्तुत की।
1974 में संपूर्ण क्रांति का आह्वान।
1975 में इंदिरा गांधी से इस्तीफा मांगा इमरजेंसी और आंदोलन।

भारत रत्न से सम्मानित

जेपी को उनके “स्वतंत्रता संग्राम और गरीबों एवं दलितों के उत्थान में अमूल्य योगदान” के लिए 1999 में मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

जयप्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर (जेपीएनआईसी)

लखनऊ: जयप्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर (जेपीएनआईसी)

जयप्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर (जेपीएनआईसी) लखनऊ में स्थित एक सांस्कृतिक और शैक्षिक केंद्र है, जो भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और समाजवादी नेता लोकनायक जयप्रकाश नारायण को समर्पित है। इस केंद्र का उद्देश्य उनके विचारों और संपूर्ण क्रांति की भावना को जीवित रखना है।

यहां पर एक सभागार, पुस्तकालय, शोध केंद्र, और संग्रहालय मौजूद हैं, जहां जयप्रकाश नारायण के जीवन और आंदोलनों को समझने का अवसर मिलता है। केंद्र सामाजिक, शैक्षिक, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करता है, जिससे उनकी विरासत और विचारधारा को नई पीढ़ी तक पहुँचाया जा सके।

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निष्कर्ष
जयप्रकाश नारायण केवल एक नेता नहीं थे, वे एक विचारधारा थे जिसने भारतीय राजनीति और समाज पर गहरा प्रभाव डाला। उनके द्वारा शुरू किया गया संपूर्ण क्रांति आंदोलन आज भी प्रासंगिक है, और उनकी विरासत लोकतंत्र और जनकल्याण के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।

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