- विज्ञापन -
Home Uttar Pradesh 56 साल बाद हुआ जवान का अंतिम संस्कार, पत्नी-बेटे की हो चुकी...

56 साल बाद हुआ जवान का अंतिम संस्कार, पत्नी-बेटे की हो चुकी मौत, पोते ने दी मुखाग्नि

मोहसिन खान

- विज्ञापन -

सहारनपुर-यूपी के सहारनपुर ज़िले से करीब 30 किलोमीटर दूर फतेहपुर गांव के रहने वाले वायु सेना में तैनात रहे शहीद मलखान सिंह का पार्थिव शरीर 56 साल बाद उनके पैतृक गांव पहुंचा और पोते गौतम ने उनको मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार किया, उनके अंतिम दर्शन करने के लिए गांव और आसपास के गांवों से लोगो का हुजूम उमड़ पड़ा, मलखान सिंह अमर रहे और भारत मां के जयकारों से पूरा गांव गूंज गया। वायु सेना के जवान बुधवार को उनका पार्थिव शरीर लेकर गांव में पहुंचे थे और फिर देशभक्ति के तरानों के बीच गमगीन माहौल में पूरे सैन्य सम्मान के साथ एयरफोर्स के बहादुर जवान मलखान सिंह को 56 साल बाद अंतिम विदाई दी गई। मलखान सिंह को मुखाग्नि उनके बडे पोते गौतम ने दी, क्योंकि मलखान सिंह के माता-पिता, पत्नी और बेटे की मौत हो चुकी है और उनके परिवार में केवल बेटे की बहू, 2 पोते और 3 पोती है। बता दें कि भारतीय सेना को हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे पर 30 सितंबर को 4 भारतीय जवानों के शव मिले थे, इनमें से एक शव मलखान सिंह का था, बर्फ में दबे होने की वजह से शव खराब नहीं हुआ था।

जानिएं क्या हुआ था 56 साल पहले 7 फरवरी 1968 को

बात 1968 की है, जब 102 जवानो को इंडियन एयरफोर्स का ट्विन इंजन एएन-12 टर्बोप्रॉप ट्रांसपोर्ट विमान 7 फरवरी 1968 को चंडीगढ़ से लेह जाते वक्त लापता हो गया था और फिर उसके बाद खराब मौसम की वजह वहीं फंस गया, जिसके बाद हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे के पास विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। जिसके बाद सर्च ऑपरेश्न चलाया गया, बताया जाता है कि ये देश का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेश्न था, भारतीय सेना में खासकर डोगरा स्काउट्स ने 2005, 2006, 2013 और 2019 में शवों की छानबीन को जारी रखा..बताया जाता है कि
दुर्घटनास्थल की कठोर परिस्थितियों और चुनौतीपूर्ण भौगोलिक स्थिति की वजह से 2019 तक केवल 5 ही जवानों के शव बरामद हो पाए थे और अब 30 सितंबर को 4 ओर भारतीय जवानों के शव बरामद हुए है।

शहीद मलखान के पोते करते है मज़दूरी

शहादत को 56 साल का लंबा वक्त बीत चुका है, पत्नी, माता-पिता की मौत हो चुकी है, पिता के इंतज़ार में 2010 में बेटा भी चल बसा, अब परिवार में बेटे की बहू, 2 पोते और 3 पोती है, 56 साल बाद दादा घर लौटे इस बात की खुशी पोते और पोतियों को है, लेकिन गम ये है कि जिन्दा ही बल्कि तिरंगे में लिपटा हुआ उनका शव घर आया, पोते और पोतियों को यकीन तो था कि दादा एक दिन ज़रूर वापिस आएंगे, क्योंकि वो उनकी बहादुरी के किस्से अपने पिता से सुनते थे और उनसे ही ये सुना था कि उनके दादा का जहाज़ आसमान में कहीं गुम हो गया, लेकिन परिवार को कोई भी सदस्य ये नहीं जानता था कि मलखान सिंह का जहाज़ आसमान में क्या गुम हुआ कि वो ही आसमानी हो गए। मलखान सिंह के जहाज़ गुम होने की खबरों के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति खराब हो गई, उधर पिता की मौत के बाद दोनो बेटे शहर चले आएं, अब शहीद जवान मलखान सिंह पोते मेहनत मजदूरी करके परिवार को भरण पोषण कर रहे है, क्योंकि अभी तक उनको सेना की ओर से कोई भी मदद नहीं मिली थी।

- विज्ञापन -
Exit mobile version