State Capture: अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान उद्योगपति एलन मस्क की राजनीतिक और प्रशासनिक भूमिका तेजी से बढ़ रही है। हाल ही में मस्क को “विशेष सरकारी कर्मचारी” नियुक्त किया गया, जिससे उन्हें सरकारी नीतियों और निर्णय प्रक्रियाओं पर सीधा प्रभाव मिल गया है। इसके अलावा, ट्रंप प्रशासन ने एक कार्यकारी आदेश जारी किया है, जो सरकारी एजेंसियों को मस्क की “डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशियेंसी” (DOGE) के साथ काम करने के लिए बाध्य करता है। इस फैसले के चलते सरकारी ढांचे में बड़े बदलाव की संभावना जताई जा रही है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह “State Capture” का एक उदाहरण हो सकता है, जिसमें निजी कंपनियां सरकारी संस्थानों और नीतियों को नियंत्रित करने लगती हैं।
क्या है स्टेट कैप्चर?
State Capture एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें कॉर्पोरेट ताकतें सरकारी नीति निर्धारण और संसाधनों को अपने हित में नियंत्रित करने लगती हैं। यह पारंपरिक भ्रष्टाचार से अलग है, क्योंकि इसमें सरकारी संस्थानों को धीरे-धीरे निजी नियंत्रण में लाया जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, रूस, दक्षिण अफ्रीका, हंगरी और अन्य देशों में इस तरह की घटनाएं पहले भी देखी गई हैं। अब अमेरिका में भी ऐसा ही खतरा नजर आ रहा है।
एलन मस्क को कैसे मिली इतनी ताकत?
ट्रंप प्रशासन के नए आदेशों के तहत मस्क की भूमिका सरकारी संस्थानों में काफी बढ़ गई है।
- सरकारी कर्मचारियों की संख्या कम करने का आदेश दिया गया है, जिससे नौकरशाही पर मस्क का प्रभाव बढ़ सकता है।
- सरकारी एजेंसियों को मस्क की कंपनियों के साथ अनिवार्य रूप से काम करने के निर्देश दिए गए हैं।
- सरकारी अनुबंधों और संसाधनों का प्रबंधन अब DOGE के माध्यम से किया जाएगा।
इसके चलते सरकारी सेवाओं का निजीकरण बढ़ सकता है और सरकारी डेटा पर निजी कंपनियों का नियंत्रण मजबूत हो सकता है।
क्या कह रहे हैं आलोचक?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला पारदर्शिता को कमजोर कर सकता है। सरकारी संस्थानों के निजी नियंत्रण में जाने से नीतिगत फैसले आम जनता के बजाय कॉर्पोरेट हितों के अनुसार लिए जा सकते हैं। संभावित खतरों में सरकारी सेवाओं की बढ़ती लागत, संवेदनशील डेटा की सुरक्षा और लोकतांत्रिक जवाबदेही की कमी शामिल हैं।
क्या होगा आगे?
एलन मस्क और ट्रंप प्रशासन की यह साझेदारी अमेरिका में बहस का विषय बन गई है। कुछ इसे नवाचार और प्रशासनिक सुधार का कदम मान रहे हैं, तो कुछ इसे सत्ता और संसाधनों के केंद्रीकरण की साजिश बता रहे हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिकी कांग्रेस और न्यायपालिका इस पर क्या कदम उठाते हैं।