Trump Gaza plan: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का गाजा प्लान, जिसमें गाजा से विस्थापित फिलिस्तीनी नागरिकों को अन्य अरब देशों में बसाने की योजना है, ने मुस्लिम देशों में आक्रोश पैदा कर दिया है। ट्रंप के इस प्रस्ताव पर चिंता जताते हुए सऊदी अरब ने एक आपातकालीन ‘अरब शिखर सम्मेलन’ बुलाया है, जिसमें गाजा पर ट्रंप के प्रस्ताव पर चर्चा की जाएगी। 20 फरवरी को सऊदी अरब में होने वाला यह सम्मेलन फिलिस्तीनी मुद्दे पर गंभीर बातचीत का अवसर प्रदान करेगा।
Trump के गाजा प्लान के मुताबिक, गाजा पट्टी के लाखों नागरिकों को मिस्र, जॉर्डन और अन्य अरब देशों में बसाने की योजना है। हालांकि, अरब देशों का मानना है कि फिलिस्तीनी लोगों को गाजा से बाहर निकालना, खासकर वर्तमान संघर्ष की परिस्थितियों में, पूरी तरह से गलत है। यह किसी के लिए भी स्वीकार्य नहीं है क्योंकि यह फिलिस्तीनियों के लिए ‘अल-नकबा’ जैसी त्रासदी को ताजा कर देगा। अल-नकबा 1948 में फिलिस्तीनियों के विस्थापन को संदर्भित करता है, जब हजारों लोग अपनी मातृभूमि से बेदखल हुए थे।
इस प्रस्ताव को लेकर सऊदी अरब, मिस्र, जॉर्डन, कतर और संयुक्त अरब अमीरात जैसे प्रमुख मुस्लिम देशों में नाराजगी है। इन देशों के नेता 20 फरवरी को सऊदी अरब में होने वाले शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे, जिसमें गाजा में ट्रंप के प्रस्ताव पर चर्चा की जाएगी। इस सम्मेलन में फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास भी शिरकत करेंगे।
Trump के इस गाजा प्लान का इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने समर्थन किया है, लेकिन अरब देशों का कहना है कि इस योजना से फिलिस्तीनी लोगों की राष्ट्रीय पहचान और अस्तित्व को नुकसान पहुंचेगा। वे इसे फिलिस्तीनी लोगों के साथ धोखा मानते हैं और इसके खिलाफ कड़ा विरोध कर रहे हैं।
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ट्रंप ने जॉर्डन और मिस्र को यह धमकी दी है कि अगर वे उनके प्रस्ताव का समर्थन नहीं करते, तो उन्हें आर्थिक सहायता में कटौती का सामना करना पड़ेगा। यह कदम अरब देशों के लिए एक राजनीतिक चुनौती बन गया है, क्योंकि जॉर्डन पहले से ही दो मिलियन से अधिक फिलिस्तीनी शरणार्थियों का घर है।
इस पर अरब देशों की एकजुटता और ट्रंप के दबाव के बीच, गाजा के भविष्य को लेकर सवाल उठने लगे हैं, और यह मामला एक अंतरराष्ट्रीय संकट के रूप में सामने आ रहा है।