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Friday, February 21, 2025
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Trump Zelensky controversy: ट्रंप का विवादित बयान… जेलेंस्की को बताया ‘बेवकूफ तानाशाह’

Trump Zelensky controversy: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की पर कड़ा प्रहार करते हुए उन्हें “बेवकूफ तानाशाह” कहा। ट्रंप ने दावा किया कि जेलेंस्की ने चुनाव नहीं कराकर लोकतंत्र का उल्लंघन किया और अमेरिका की वित्तीय मदद पर निर्भर रहते हुए रूस के खिलाफ युद्ध को जारी रखा। यह बयान ऐसे समय आया है जब रूस-यूक्रेन युद्ध को तीन साल हो चुके हैं और अमेरिका संघर्ष समाप्त करने के लिए कूटनीतिक प्रयास कर रहा है।

ट्रंप ने क्यों साधा जेलेंस्की पर निशाना?

Trump ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जेलेंस्की ने “बहुत खराब काम” किया है और यदि वे चाहते तो रूस के साथ शांति वार्ता कर सकते थे। उन्होंने आरोप लगाया कि जेलेंस्की सिर्फ अमेरिकी सहायता पर निर्भर हैं और अगर चुनाव होते, तो वे हार जाते। ट्रंप ने कहा कि जेलेंस्की एक कॉमेडियन से नेता बने हैं और उनकी सरकार अमेरिका की मदद के बिना टिक नहीं सकती।

Trump का यह बयान जेलेंस्की के उस फैसले से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने युद्ध के चलते यूक्रेन में चुनाव स्थगित कर दिए थे। जेलेंस्की ने इसे सुरक्षा कारणों से जरूरी बताया था, लेकिन ट्रंप ने इसे एक तानाशाही कदम बताया।

अमेरिका की सहायता पर उठाए सवाल

Trump ने यह भी कहा कि अमेरिका ने यूक्रेन को भारी आर्थिक सहायता दी, लेकिन इसके बावजूद युद्ध खत्म नहीं हुआ। उन्होंने कहा, “अमेरिका ने यूक्रेन को 350 बिलियन डॉलर दिए, फिर भी यह युद्ध बेवजह जारी है। यह कभी शुरू ही नहीं होना चाहिए था।”

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आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका ने रूस के आक्रमण के बाद से यूक्रेन को करीब 183 बिलियन डॉलर की मदद दी है। ट्रंप ने इसे करदाताओं के पैसे की बर्बादी बताया और कहा कि अगर वे राष्ट्रपति होते, तो युद्ध कभी शुरू ही नहीं होता।

यूक्रेन और यूरोप की प्रतिक्रिया

ट्रंप के इस बयान पर यूक्रेन और यूरोपीय नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी। जेलेंस्की ने कहा कि दुनिया को अब यह तय करना होगा कि वह “पुतिन के साथ है या शांति के साथ।” ब्रिटेन और जर्मनी ने जेलेंस्की का समर्थन किया और ट्रंप की टिप्पणी को गैर-जिम्मेदाराना बताया।

अमेरिकी विदेश नीति पर असर

विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप यूक्रेन को रूस के साथ समझौता करने के लिए मजबूर करना चाहते हैं। अगर वे फिर से राष्ट्रपति बनते हैं, तो उनकी विदेश नीति यूक्रेन के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है।

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